बिलासपुर। जोनल स्टेशन स्थित जनरल टिकट काउंटर (यूटीएस) जहां से यात्री बोलते हैं (होल) का साइज काफी छोटा है। यह समस्या यात्री व रेलकर्मी दोनों के लिए मुसीबत बनी हुई है। इसकी वजह से कर्मचारी ठीक से यात्रियों की बात सुन नहीं पाते और अक्सर गलत टिकट जारी कर देते हैं। इसकी वजह से विवाद की स्थिति निर्मात होती रहती हैं।
जब से ट्रेनों के जनरल कोच का रिजर्वेशन बंद हुआ है और पहले की तरह यूटीएस से जनरल टिकट जारी होने लगे हैं, यहां के सभी काउंटरों में 24 घंटे लंबी कतार रहती है। इस काउंटर पर पहुंचे यात्री को हमेशा टिकट लेने की हड़बड़ी रहती है। दरअसल टिकट लेकर यात्री सीधे ट्रेन में बैठता है। यदि टिकट नहीं मिला तो ट्रेन छूट जाती है। यदि तीन घंटे भीतर कोई ट्रेन है तब तो वह टिकट मान्य रहता है। लेकिन, इसके बाद की अवधि में पहुंचने वाली ट्रेन में विलंब से मिले टिकट से यात्री सफर नहीं कर सकता है।
यात्री भीड़ के कारण पहले ही समस्या से परेशान हैं। अब उन्हें एक नई दिक्कत से भी गुजरना पड़ रहा है। इस दिक्कत की वजह से यूटीएस काउंटर के होल हैं। किसी भी टिकट में दो होल होते हैं। एक, जिसमें यात्री किराए की राशि देता है और वहीं से रेलकर्मियों टिकट देता है। दूसरे होल से यात्री की आवाज अंदर जाती है।
यात्री के गंतव्य स्थल के अनुसार रेलकर्मियों सिस्टम से टिकट जारी करता है। समस्या इसी काउंटर पर लगे ग्लास में बने होल से आ रही है। जोनल स्टेशन के सभी काउंटर के होल इतनी छोटी साइज की है कि यात्री पूरी ताकत लाकर बोलना पड़ता है। यदि थोड़े भी दूर से बोला तो आवाज स्पष्ट अंदर तक नहीं जाती।
रेलकर्मियों की आवाज तो बाहर यात्रियों को स्पष्ट कभी नहीं सुनाई देती। इसी वजह से अक्सर जारी टिकट यात्री की मांग के अनुरूप नहीं मिल पाता। जब काउंटर से हट जाने के बाद यात्री टिकट जांच करता है तो उसमें त्रुटि रहती है। इसे सुधारने के लिए दोबार यात्री कतार में खड़े होना पड़ता है।
रेलकर्मियों के पास भी इतना समय नहीं रहता कि दोबारा सुधारकर टिकट जारी करें। इसी वजह से बहस भी होती है। रेल प्रशासन को इस समस्या की जानकारी है। लेकिन इसका समाधान करने के लिए ध्यान नहीं दे रहा है।
छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस, साउथ बिहार एक्सप्रेस समेत रायपुर, रायगढ़ व कोरबा लोकल ट्रेन से यात्रा करने टिकट लेने वाले कुछ यात्रियों ने काउंटर के इस होल को बड़ी समस्या बताई। उनका कहना है कि वह अक्सर से जनरल टिकट लेकर यात्रा करते हैं। कई बार यह होता है कि उन्हें एक यात्री का टिकट चाहिए रहता है तो दो का टिकट दे दिया जाता है।
ज्यादा तेज आवाज में बोलने से रेलकर्मी नाराज होते हैं। रेल प्रशासन को चाहिए कि इस समस्या के समाधान के लिए पुख्ता इंतजाम करें। कुछ शहरों में इस होल में माइक लगाए गए हैं। इससे दोनों तरफ की आवाज स्पष्ट सुनाई देती है। इसके अलावा होल बड़ा रखा गया है, ताकि परेशानी न हो।
क्या कहते हैं अधिकारी
यात्रियों के इस समस्या की जानकारी है। जल्द ही काउंटर के इस होल में माइक की व्यवस्था की जाएगी। जिससे कि यात्री व रेलकर्मियों के बीच सुनाई स्पष्ट दें सके।
विकास कश्यप, सीनियर डीसीएम, बिलासपुर रेल मंडल.