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अब केयर सिटी के रूप में भी जानेंगे कोटा को देशभर के लोग …

सफल हुआ राजस्थान सरकार, राज्यों की सरकार, कोटा जिला प्रशासन, एनजीओ एएसडब्ल्यूएस व एलन का साझा प्रयास

कोटा/राजस्थान (प्रमोद शर्मा) । मेडिकल व इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर स्टूडेंट्स का भविष्य बनाने के लिए पहचाने जाने वाले कॅरियर सिटी कोटा ने देश में कोरोना के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में एक अलग पहचान स्थापित किया है। यह पहचान अब कॅरियर से केयर सिटी के रूप में अपनेपन और छात्र हित में सदैव तैयार खड़े रहने की है। एक बार फिर कोचिंग सिटी कोटा ने यह साबित कर दिया कि स्टूडेंट्स की मदद के लिए हर तरह से तैयार है और रहेगा।

कोटा से कोचिंग स्टूडेंट्स की सकुशल घर वापसी की चुनौती को यहां के जिला प्रशासन और एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट द्वारा इतनी जिम्मेदारी और कुशलता से पूरा किया गया कि हजारों स्टूडेंट्स के लाखों परिवारजनों ने न केवल धन्यवाद दिया वरन कोटा को दुआएं दी। कोटा के इस इवेक्युएशन मॉडल के लिए पहले यहां रहने वाले स्टूडेंट्स का सर्वे किया गया, इसके बाद एक-एक स्टूडेंट की सूची तैयार कर एक्शन प्लान तैयार किया। कोटा के इस इवेक्युएशन मॉडल को लागू करने में एनजीओ एलन स्टूडेंट्स वेलफेयर सोसायटी, राजस्थान सरकार के साथ अन्य राज्य सरकारों और केन्द्र सरकार तथा एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट का का भी पूरा योगदान रहा। अब कोटा का इवेक्युएशन मॉडल देश के लिए एक पहल बन गया, एक प्रेरणा बन गया।

यदि सरकार, प्रशासन और एनजीओ मिलकर इस तरह की पहल देश के अन्य राज्यों में करें तो यह इवेक्युएशन मॉडल लाखों लोगों के लिए राहतभरा हो सकता है। कई राज्य सरकारों ने कोटा मॉडल को आधार बनाते हुए कामगारों, मजदूरों को घर भेजने के लिए बसों व ट्रेनों की शुरुआत की। एक अनुमान के मुताबिक कोटा से देश के 25 राज्यों और 5 केन्द्र शासित प्रदेशों के करीब 550 से अधिक जिलों, 3000 से अधिक शहरों व कस्बे-गांव के स्टूडेंट सकुशल रवाना हुए।

घर से दूर थे हजारों स्टूडेंट्स

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से एक और जहां पूरा देश घरों में कैद है। ऐसे में कोचिंग सिटी कोटा में देशभर से पढ़ने आए 15 से 18 वर्ष की उम्र के स्टूडेंट्स भी जहां थे वहीं अटक गए। ये स्टूडेंट्स घर से हजारों किलोमीटर दूर रह रहे बच्चों के लिए कॅरियर सिटी कोटा के कोचिंग संस्थानों विशेषरूप से एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट द्वारा हर सुविधा देने के प्रयास किए गए।

ऐसे शुरू हुआ कोटा इवेक्युएशन का एक्शन प्लान

ओम कसेरा, कोटा, कलेक्टर.

घर जाने के इच्छुक कुछ स्टूडेंट्स ने अपने-अपने कोचिंग संस्थानों में घर भेजने के लिए अपील की। एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के निदेशक नवीन माहेश्वरी से कुछ स्टूडेंट्स ने पास बनवाने के लिए संपर्क किया। माहेश्वरी ने स्टूडेंट्स से बात की और इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए जिला कलेक्टर से बात की। इसके बाद माहेश्वरी ने इस पहल को संकल्प के रूप में शुरू किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा। जिला प्रशासन से बार-बार बात की, इसके बाद जिला कलेक्टर ओम कसेरा भी इस पहल से जुड़े। स्टूडेंट्स ने सोशल मीडिया पर कैम्पेन चलाए, अपनी बात रखी। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने बसें भेजकर अपने स्टूडेंट्स को घर बुलाने की स्वीकृति दी। इसके बाद एक के बाद एक राज्य अनुमति देने लगे, बसें भेजने लगे।

25 राज्य व 5 केन्द्र शासित प्रदेशों के 43 हजार स्टूडेंट्स

जिला प्रशासन और एलन के संयुक्त प्रयासों को केन्द्र सरकार के साथ-साथ विभिन्न राज्य सरकारों का भी सहयोग मिला और यही कारण है कि इस प्लान के तहत अब तक 25 राज्य और 5 केन्द्र शासित प्रदेशों के 43 हजार से अधिक स्टूडेंट्स की सकुशल घर वापसी हो चुकी है। 1030 बसों से 25 हजार से अधिक स्टूडेंट्स अब तक सकुशल घर पहुंच चुके हैं। वहीं 16 ट्रेनों से 18080 स्टूडेंट्स घर पहुंचे। इसमें 25 राज्य के यूपी, उत्तराखंड, मप्र, हिमाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, असम, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र, झारखंड, त्रिपुरा, केरल, अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम, तमिलनाडु, मणिपुर, तेलंगाना, मेघालय तथा 5 केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली, लद्दाक, चंडीगढ़, दादर-नागर हवेली, दमन-दीव के स्टूडेंट्स शामिल है।

पहले बस फिर ट्रेन

कोटा का इवेक्युएशन मॉडल बसों से शुरू हुआ। यहां स्टूडेंट्स से बातचीत के बाद एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के निदेशक नवीन माहेश्वरी ने जिला कलक्टर कोटा ओम कसेरा से बातचीत की। इसके बाद कई राज्यों के अधिकारियों से बात हुई और बच्चों को भेजने पर स्वीकृति दी जाने लगी। सबसे पहले उत्तर प्रदेश आगे आया और बसें भेजी। बसों के जरिए स्टूडेंट्स को सकुशल घर भेजा गया। इसके बाद उत्तराखंड, फिर मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों ने रूचि दिखाई और एक के बाद एक राज्य के स्टूडेंट्स सकुशल रवाना होने लगे। इसके बाद झारखंड के लिए लॉकडाउन के दौरान पहली यात्री ट्रेन चलाई गई, जिसके तहत रांची स्टूडेंट्स रवाना हुए।

450 से अधिक सदस्यों की टीम

कोटा में चले इस इवेक्युएशन में एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट व एलन स्टूडेंट्स वेलफेयर सोसायटी के करीब 300 सदस्यों ने मिलकर काम किया, जिसमें सीपीओ, विजिलेंस टीम, स्वच्छता ब्रिगेड के साथ-साथ एडमिन टीम के सदस्य तक शामिल रहे। इसके साथ ही जिला प्रशासन, पुलिस, चिकित्सा विभाग के भी करीब 150 सदस्य इस इवेक्युएशन में लगे।

क्यों सक्सेस हुआ कोटा इवेक्युएशन मॉडल

कोटा से कोचिंग स्टूडेंट्स की रवानगी के लिए केन्द्र सरकार, राजस्थान सरकार, राज्यों की सरकारें, जिला प्रशासन, एनजीओ एलन स्टूडेंट्स वेलफेयर सोसायटी तथा एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट द्वारा कुछ मापदण्ड निर्धारित किए गए। संयुक्त प्रयासों से तैयार यह मॉडल इसीलिए सफल रहा क्योंकि हर टीम ने अपनी भूमिका पूरी जिम्मेदारी से निभाई। जिला प्रशासन ने सरकार से इजाजत ली, एनजीओ एलन स्टूडेंट्स वेलफेयर सोसायटी ने बसों का सेनेटाइजेशन, थर्मल टेस्टिंग, फूड पैकेट वितरण का कार्य किया, स्टूडेंट्स के सामान को बस में रखवाने, उन्हें सकुशल रेलवे स्टेशन तक पहुंचाने में भी सहयोग किया। वहीं जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बाहर से आने वाले अधिकारियों से सामंजस्य बिठाया, पुलिस ने वाहनों का शहर में एकत्रिकरण और अनुशासन बनाए रखने में योगदान दिया।

सभी के साथ से बड़ी चुनौती को पूरा किया : माहेश्वरी

नवीन माहेश्वरी, निदेशक

इस इवेक्यएुशन प्लान के पहलकर्ता रहे एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के निदेशक नवीन माहेश्वरी ने कहा कि यह बहुत बड़ी चुनौती थी और बिना सभी के साथ के ये काम इतनी कुशलता से होना संभव नहीं लग रहा था। केन्द्र सरकार, राजस्थान सरकार, विभिन्न राज्यों की सरकार और जिला प्रशासन का विशेष सहयोग रहा। हमारा लक्ष्य हर स्टूडेंट को सकुशल घर पहुंचाने का है और इसके लिए हम आज भी हर संभव प्रयास कर रहे हैं। स्टूडेंट्स की समस्या हमारी समस्या है और उनके समाधान के लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

ऐसे हुई रवानगी

  • – हर स्टूडेंट की कोचिंग आईडी तथा मूल निवास स्थान की आईडी की जांच की गई।
  • – हर स्टूडेंट का थर्मल टेम्परेचर चैक किया गया और बीमारी की हिस्ट्री पूछी गई।
  • – बस से रवानगी के दौरान वेटिंग एरिया हो या बस के बाहर हर जगह सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा गया।
  • – बस व ट्रेन में भी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही स्टूडेंट्स को रवाना किया गया। ट्रेन के एक कोच में 36 तथा एक बस में अधिकतम 30 स्टूडेंट्स को ही बिठाया गया।
  • – हर स्टूडेंट को सफर के दौरान मास्क लगाने की हिदायत दी गई, इसके लिए मास्क भी दिए गए।
  • – हर स्टूडेंट को अल्पाहार दिया गया ताकि रास्ते में डिहाइड्रेशन या अन्य परेशानी नहीं हो। इसमें पानी की बोतल, चॉकलेट, वैफर्स, बिस्किट, कुरकुरे, नमकीन शामिल थे।
  • – यदि स्टूडेंट्स ने रमजान में रोजा रखा तो उसके लिए विशेष आहार की व्यवस्था की गई।
  • – स्टूडेंट्स के साथ भोजन भी दिया गया। लम्बी दूरी के स्टूडेंट्स के लिए रास्ते में भोजन का प्रबंध किया गया।
  • – स्टूडेंट्स जहां पहुंचे वहां भी मेडिकल टीम द्वारा जांच की गई और इसके बाद घरों पर भेजा गया।

सिंगल ट्रिप माइग्रेंट स्पेशल ट्रेन

यह सिंगल ट्रीप माइग्रेंट स्पेशल ट्रेन स्टूडेंट्स के लिए चलाई गई, जिसका रास्ते में कहीं भी वाणिज्यिक ठहराव नहीं दिया गया है। मार्ग में किसी भी व्यक्ति को इस ट्रेन में चढ़ने या उतरने की अनुमति नहीं दी गई। इस स्पेशल ट्रेन में 2 कोच एसएलआर, 4 कोच द्वितीय सामान्य श्रेणी के तथा 18 कोच शयनयान श्रेणी सहित कुल 24 कोच थे।

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