मध्य प्रदेश

अब 30 वर्ष पुराने आवासीय परिसर को तोड़कर किया जा सकेगा नव-निर्माण, मंत्रिपरिषद द्वारा मप्र आवास पुनर्विकास नीति स्वीकृत

जर्जर आवासों के स्थान पर अब नए और बेहतर आवास मिलेंगे, परियोजना की सफलता के लिए दी जाएगी आकर्षक छूट और पैकेज

भोपाल। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में मध्यप्रदेश आवास पुनर्विकास नीति-2022 स्वीकृत की गई है। नीति में हितग्राहियों के लिए बिना किसी शुल्क के जीर्ण-शीर्ण भवनों का नव-निर्माण प्रस्तावित है। राज्य के सभी शहर इसमें शामिल होंगे। नीति में 30 वर्ष पुरानी सार्वजनिक तथा निजी आवासीय योजनाएँ अथवा जिन आवासीय योजनाओं को जीर्ण-शीर्ण घोषित किया जा चुका हो, उनका नव-निर्माण किया जा सकेगा। अब जर्जर आवासों के स्थान पर नए और बेहतर आवास बनाए जा सकेंगे।
पुनर्विकास नीति में पैकेज एवं छूट प्रस्तावित
लीज होल्ड से फ्री-होल्ड करने के लिए शुल्क कोई देय नहीं होगा। पुनर्विकास के तहत ली जा रही परियोजनाओं में विकासकर्ता को मध्यप्रदेश नगर पालिका (कॉलोनी विकास) नियम, 2021 के नियम 10 में कमजोर वर्गों के लिए (एल.आई.जी./ई.डब्लू.एस./आश्रय शुल्क/अतिरिक्त आश्रय शुल्क) जमा करने तथा नियम 13 में संपत्ति बंधक रखने अथवा बैंक गारंटी प्रस्तुत करने से छूट रहेगी। पुनर्विकास परियोजनाओं में मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम, 2012 के नियम 42 सारणी 4 एवं सारणी 5 में निर्धारित एफ.ए.आर. से 50 प्रतिशत (1:0.5) अतिरिक्त एफ.ए.आर. दिया जाएगा। भू-तल कवरेज 40 प्रतिशत मान्य होगा। आवासीय परिसरों में आवश्यक दुकानों के लिए कुल एफ.ए.आर. का 5 प्रतिशत के स्थान पर 7.5 प्रतिशत क्षेत्रफल स्वीकार्य होगा। पुनर्विकास नीति में प्रस्तावित रिडेवलपमेंट एग्रीमेंट में विकासकर्ता अथवा क्रियान्वयन अभिकरण द्वारा विक्रय किए जाने वाली संपत्ति पर भी अनुबंध की स्टॉम्प ड्यूटी बाजार मूल्य का 5 प्रतिशत के स्थान पर 0.25 प्रतिशत लगेगी। पुनर्विकास लाभार्थी-हितग्राहियों को सम्बन्धित पुनर्विकास इकाई के लिए पंजीकृत कब्जा/ स्वत्व प्रमाण-पत्र एक हजार रूपये प्रति प्रमाण-पत्र की कीमत पर दिया जाएगा। कोई रजिस्ट्री दोबारा नहीं कराना होगी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली साधिकार समिति लैंड यूज बदलने का निर्णय ले सकेगी।
पुनर्विकास नीति में प्रस्तावित योजनाओं की भूमि का विकास
योजना की भूमि दो भागों में बाँट कर प्रयोग में ली जाएगी। एक भाग पर हितग्राहियों के लिए पुनर्विकसित इकाइयों का निर्माण एवं अन्य भाग का प्रतिपूरक घटक के रूप में विकासकर्ता द्वारा उपयोग किया जाएगा। योजना की भूमि को बिना बाँटे प्रयोग अर्थात योजना की भूमि पर ही पुनर्विकसित ईकाइयों एवं प्रतिपूरक घटक का निर्माण किया जा सकेगा। हितग्राहियों को योजना से स्थानांतरित कर अन्य भूमि पर पुनर्विकसित इकाइयों का निर्माण किया जाएगा। योजना को प्रतिपूरक घटक के रूप में उपयोग किया जाएगा।

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