मध्य प्रदेश

लोकसभा चुनाव ग्वालियर सीट पर बीजेपी के टिकट दावेदारों के नाम भी सामने आ रहे

 ग्वालियर

लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन के लिए बीजेपी ने रायशुमारी शुरू कर दी है। ग्वालियर में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मंत्री प्रह्लाद पटेल राय शुमारी करने पहुंचे तो उन्हें कई दिग्गजों के नाम सुझाए गए। इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सबसे ऊपर बताया गया है। ग्वालियर में बीजेपी का टिकट किसे मिलेगा? इसे लेकर पार्टी ने फाइनल स्टेज पर काम करना शुरू कर दिया है।

बता दें कि ग्वालियर पहुंचे भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश सरकार के मंत्री प्रह्लाद पटेल ने पार्टी के दर्जनों कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और संभावित प्रत्याशियों के नाम की पर्चियां मांगी। ज्यादातर कार्यकर्ताओं की पहली पसंद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बताए जा रहे हैं। उनके बाद जयभान सिंह पवैया और नरोत्तम मिश्रा का नाम भी सामने आया है। रायशुमारी के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं का बैकग्राउंड, पुराना अनुभव, पार्टी में योगदान और जातीय समीकरण पर भी मंथन करेगी।

रायशुमारी करने आये मंत्री प्रह्लाद पटेल का कहना है कि यह हमारी पार्टी की नियमित और रुटीन प्रक्रिया है, क्योंकि भाजपा लोकतांत्रिक राजनीतिक पार्टी है। उनका कहना है कि यहां सबसे राय-मशविरा करते हैं। यह सब अनुशासन में होता है। रायशुमारी के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं का बैकग्राउंड, पुराना अनुभव, पार्टी में योगदान और जातीय समीकरण पर भी मंथन करेगी। वर्तमान सांसद कहते हैं कि उनकी पार्टी सदैव ही युवाओं को आगे बढ़ाती है और वरिष्ठ नेताओं के समन्वय के आधार पर काम करती है, इसलिए हमारी पार्टी निरन्तर आगे बढ़ रही है।

दावेदारों के मजबूत और कमजोर पक्ष

ज्योतिरादित्य सिंधिया
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जनता में अपनी छवि मिलनसार नेता के रूप में बनाई है। इसके साथ ही सिंधिया ने ग्वालियर में नया एयरपोर्ट बनवाया, एलिवेटेड रोड के  विकास में प्रयास रेलवे स्टेशन के आधुनिकीकरण का काम भी करवाया। साथ में सैकड़ों करोड़ के विकास कार्य का बजट स्वीकृत कराया। सिंधिया के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद से विकास कार्य नजर आ रहे हैं

कमजोरी

सिंधिया जातीय समीकरण में कमजोर माने जाते हैं। लोकसभा क्षेत्र में मराठा समाज की संख्या कम। टिकट मिलने पर बीजेपी के पुराने नेता भीतरघात कर सकते हैं। बीजेपी के मूल कार्यकर्ता अभी भी दूर हैं अपने पुराने समर्थकों से घिरे रहते हैं।

यशवंत इंदापुरकर
खांटी संघ पृष्ठभूमि के नेता माने जाते हैं। इनकी तीन पीढ़ियां संघ को समर्पित रही हैं। इंदारपुरकर को संघ में महत्वपूर्ण दायित्व भी मिल चुका है। यशवंत अब तक मध्यभारत प्रान्त के सह कार्यवाह जैसे पद पर भी रहे हैं। इसी माह मुरैना में सर संघ चालक मोहन भागवत की मौजूदगी में घोषित कार्यकारिणी में उन्हें इस दायित्व से मुक्त किया गया है। तभी से उनके लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलें लगना शुरू हो गई हैं। इंदारपुरकर की कार्यकर्ताओं में अच्छी पकड़ मानी जाती है। यशवंत सरल, सहज और मिलनसार हैं। इनके पिता सत्ता और संगठन के अनेक पदों पर रह चुके हैं।

कमजोरी

बड़ा जातिगत आधार नहीं। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नया नाम होगा। इनका निजी स्तर का कोई बड़ा जनाधार नहीं है।

जयभान सिंह पवैया
हिंदुत्व छवि के नेता और  बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए अकादमिक शिक्षा को बेहतर बनाया। इनके पास पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्थन और क्षत्रिय समाज का बड़ा वोट बैंक है। पवैया ने माधवराव सिंधिया जैसे दिग्गज नेता से कड़ा मुकाबला किया है। अटल बिहारी वाजपेई जैसे बड़े नेता को हराने वाले माधवराव सिंधिया को पवैया की वजह से ग्वालियर सीट छोड़नी पड़ी थी। पवैया ग्वालियर से सांसद भी रह चुके हैं। भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगाने में सख्त माने जाते हैं। खांटी राष्ट्रवादी छवि और राम मंदिर आंदोलन के बड़े नेता रहे। इनकी संघ में भी अच्छी पकड़ है।

कमजोरी

 जनता में संपर्क कमजोर है। सख्त मिजाज सिंधिया समर्थकों में विरोध झेल सकते हैं। इनकी दलित तबके के मतदाताओं से दूरी।

नरोत्तम मिश्रा
दतिया को विकास की ऊंचाइयों तक पहुंचाया। ब्राह्मण समाज का बड़ा वोट बैंक और समर्थन और विरोधियों को अपने पाले में लाने में माहिर हैं। मिश्रा जातीय समीकरण के अनुभवी नेता माने जाते हैं। नरोत्तम मिश्रा लोगों के काम करने में लोकप्रिय रहे हैं।

कमजोरी – ग्वालियर की जनता से प्रत्यक्ष संपर्क नहीं। गृहमंत्री रहने के दौरान कार्यशैली से लोग नाराज बताए जाते हैं।

विवेक शेजवलकर
वर्तमान सांसद विवेक शेजवलकर है। यह सहज, मृदुभाषी हैं। कार्यकर्ताओं में अच्छी पकड़ है। पिता बड़े नेता रह चुके हैं, इसलिये पूरे संसदीय क्षेत्र में अच्छी पैठ है

कमजोरी

70 साल पार कर चुके हैं। आक्रामक रुख न होने से लोगो के काम नहीं करा पाने का आरोप।

 

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