कोरबा

दूर की जा रही हैं भारत को धर्मशाला समझने वालों की गलतफहमी – बालकदास महाराज

कोरबा (गेंदलाल शुक्ल)। पाटेश्वर धाम छत्तीसगढ़ के संत राम बालकदास महाराज ने रविवार को कोरबा के ओपन थिएटर मैदान में एक विशाल सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जो लोग भारत को धर्मशाला समझते हैं वह इस गलतफहमी में बिल्कुल ना रहे। असम से इसकी शुरुआत कर दी गई है। घुसपैठियों की तलाश करने के साथ उन्हें अपने मूल घर भेजने का काम शुरू है। अन्य क्षेत्रों में ऐसे तत्वों की खोज की जाएगी।

नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता के समर्थन में एक सभा को संबोधित करते हुए संत राम बालकदास महाराज ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि जिन्हें भारत में अच्छा पानी नहीं मिलता, कई तरह की दुशवारियां नजर आती हैं और समस्याएं देखते हैं उनके लिए भारत धर्मशाला है। ऐसे लोगों को अपने ससुर के घर जाने की मानसिकता बनानी होगी। रामबालकदास ने कहा कि डॉ अम्बेडकर द्वारा रचित जिस संविधान के जरिए आरक्षण की सुविधा प्राप्त हो रही है, उसी से दूसरे कानून बन रहे हैं। संविधान की व्यवस्था से ही प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति चुने जा रहे हैं। इसी तरह संसद में पारित होने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से नागरिकता संशोधन कानून बना है इसलिए यह बात समझ से परे है कि नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी का विरोध आखिर क्यों कर रहे हैं। इसके पीछे किसका षड्यंत्र है, स्पष्ट होना आवश्यक है।

उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई हैं। आने वाले दिनों में पीओके को भी भारत में शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही प्रयास होगा कि भारत को अखंड बनाया जाए। उनका कहना था कि भारत माता हर भारतीय के लिए आराध्य है और यह स्वाभिमान का विषय भी है। इस बारे में किसी तरह का दो मत नहीं होना चाहिए।

सभा में उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधारकर कहा कि वोअमेरिका के जूठों पर टिका हुआ है जबकि हम अपने मेहनत के बलबूते काम करने पर विश्वास करते हैं। विश्व स्तर पर अगर भारत की पहचान लगातार बढ़ रही है तो इसका मतलब स्पष्ट है कि भारत का प्रदर्शन अनेक मामलों में कहीं ना कहीं दूसरे राष्ट्रों को उसकी सराहना करने के लिए प्रेरित कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी का समर्थन करते हैं। किसी भी वर्ग विशेष से उनका कोई विरोध नहीं है।

इस सभा को संतराम रूप दास महात्यागी महाराज ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि त्रेता, द्वापर और सतयुग में कई तरह की आसुरी शक्तियों ने अपना प्रदर्शन किया, जिन्हें उस काल में ईश्वर ने आखिरकार समाप्त कर दिया। इसके साथ ही उन लोगों को साम्राज्य दे दिया गया जिनके पास से छीना गया था। वर्तमान में जो बुराइयां नजर आ रहे हैं उसके पीछे मानसिकता संबंधी विकार सबसे मुख्य कारण है।

इससे पहले कोसाबाड़ी के हनुमान मंदिर से 500 मीटर के तिरंगे झंडे के साथ “भारत रक्षा मंच” ने विशाल पदयात्रा निकाली, इसमें लगभग 30000 लोग शामिल हुए। यात्रा के शुभारंभ से पहले मंदिर परिसर में ध्वज का पूजा अर्चन हुआ। कार्यक्रम के मंच पर डॉ राजीव सिंह, पंतजलि, आर्य समाज, आर्ट आफ लिविंग, श्याम मित्र मंडल, गायत्री परिवार, जैन और शिक्ख समाज के प्रतिनिधि कंवर उपस्थित रहे।

इसके अतिरिक्त विशिष्ट अतिथियों में ननकी राम कँवर, पूर्व आई.ए.एस. ओ.पी.चौधरी, लखनलाल, जोगेश लांबा, जुड़ावन सिंह, सत्येन्द्र दूबे, डा. विशाल उपाध्याय, अशोक चावलानी, गोपाल मोदी, पवन गर्ग, प्रेमचंद पाण्डेय, रूक्मणी नायर, हितानंद अग्रवाल, विकेश झा, राधेश्याम जायसवाल, किताब सिंह, ईंदु सर्मा, कंचन चौरसिया जैसे अनेक लोगों की उपस्थिति रही।

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