मध्य प्रदेश

50 साल तक एक-दूसरे के साथ साये की तरह रहे, मौत भी साथ आई, एक ही चिता पर हुआ अंतिम संस्कार

सात फेरे लेते समय साथ जीने और मरने वाली कसमें सही मायने में ग्वालियर की ‘चतरो देवी’ ने निभाईं

ग्वालियर। वे 50 साल तक एक-दूसरे के साथ साये की तरह रहे और मौत के सफर पर भी दोनों एक साथ निकले। दोनों की अन्तिम यात्रा एक ही अर्थी पर निकली और दोनों का दाह संस्कार भी एक ही चिता पर किया गया, जिसने भी यह वाकया सुना और दृश्य देखा, वह भावुक हुए बिना नहीं रहा। हर किसी की आंखें नम हो रही थी। यह वाकया है ग्वालियर शहर के भितरवार क्षेत्र निवासी रमेश खटीक और चतरो देवी के निधन का।
यह वाकया है ग्वालियर शहर का। यहां के भितरवार क्षेत्र के चिटोली में रहने वाले 70 साल के रमेश चंद्र खटीक ने बीती रात अपनी 68 साल की पत्नी चतरो देवी के साथ भोजन किया था। भोजन करने के बाद दोनों सो गए थे। रात के वक्त रमेश चंद्र बाथरूम करने के लिए उठे थे। इस दौरान वे अचानक गिर पड़े और उनकी मौत हो गई। कुछ देर बाद पत्नी चतरो बाई उठी तो देखा की पति मृत अवस्था में पड़े हुए थे। ये देख चतरो बाई की भी सांसें थम गईं। अल सुबह घर वाले जागे तो दोनों को मृत अवस्था में देखा। घरवालों ने डॉक्टर को बुलाया तो दोनों का निधन हो चुका था।
परिजनों के अनुसार रमेश चंद्र और चतरो देवी की शादी 50 साल पहले हुई थी और जब दुनिया से विदाई का वक्त आया तो दोनों साथ ही रवाना हुए। लोग भी कह उठे कि सात फेरे लेते समय साथ जीने और मरने वाली कसमें सही मायने में ‘चतरो देवी’ ने निभाईं। अगले दिन सुबह दोनों की अर्थी एक साथ बनाई, शवयात्रा भी एक साथ निकाली गई और शमशान में एक ही चिता पर दोनों का अंतिम संस्कार किया गया। ज्ञात हो कि चतरो देवी भितरवार में पूर्व जनपद पंचायत सदस्य रह चुकी थीं और रमेश चंद्र खटीक क्षेत्र में रमेश नेताजी के नाम से विख्यात थे। इस तरह 50 साल तक एक-दूसरे के साथ साये की तरह रहे दोनों पति-पत्नी मौत के सफर पर भी एक साथ निकले। दोनों की अन्तिम यात्रा एक ही अर्थी पर निकली और दोनों का एक ही चिता पर दाह संस्कार भी हुआ। जिसने भी इस वाकये को सुना तो उसकी आंखों में पानी आ गया।

Back to top button