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KK Pathak Vs Patna DM : विभाग बोला- स्कूल खोलें, डीएम का आदेश- बंद करें

पटना.

जिले में कौन-सा कानून चलेगा? जिले में अंतत: किसका आदेश चलेगा? जिले में किसकी हनक रहेगी? इन सवालों का जवाब पटना के सरकारी प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में दिख रहा है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के आदेश का हवाला देकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने पटना के जिला शिक्षा पदाधिकारी को आदेश दिया था कि वह प्राथमिक और मध्य विद्यालयों को भी खुलवाएं।

दूसरी तरफ, पटना के जिलाधिकारी ने ऐसा होने पर उनके आदेश से जारी धारा 144 का उल्लंघन करार दिया था। मतलब, शिक्षा विभाग के अनुसार स्कूल खुले, जबकि ठंड में जन-जीवन पर संकट को देखते हुए डीएम का आदेश स्कूल बंद करने को लेकर था। सोमवार को 'अमर उजाला' ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के सीनियर-जूनियर अफसरों के टकराव की बात सामने लायी थी, आज जानें भौतिक रूप से सरकारी प्राथमिक और मध्य विद्यालयों पर किसका आदेश, किस तरह लागू हुआ। प्राइवेट तो खैर डीएम के आदेश के उल्लंघन की हिमाकत नहीं ही कर सके।

बच्चों ने डीएम अंकल का माना आदेश
टीम मंगलवार सुबह घने कोहरे और करीब नौ डिग्री तापमान के बीच पटना के स्कूलों का निरीक्षण करने निकली तो हैरान रह गई। स्कूल में हलचल थी लेकिन बच्चे नदारद थे। पूछताछ करने पर पता चला कि स्कूल में शिक्षक आए हैं लेकिन बच्चे नहीं आए। यानी शिक्षकों ने जिला शिक्षा पदाधिकारी का आदेश माना और कड़ाके की ठंड में स्कूल पहुंच गए। वहीं बच्चों ने पटना डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह का आदेश माना। कुछ अभिभावकों ने बताया कि सुबह कड़ाके की ठंड में बच्चों को स्कूल भेजना किसी बड़े खतरे से कम नहीं। स्वास्थ्य ठीक रहेगा तब न बच्चे पढ़ेंगे भी। अभिभावकों ने पटना डीएम के निर्णय का समर्थन किया और कहा कि उनका निर्णय बिल्कुल सही है। उन्होंने बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए आठवीं तक के स्कूल को बंद रखने का आदेश दिया है।

किस नियम का हवाला देकर निर्णय पर अड़े
माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद के पत्र के जवाब में पटना के डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने स्पष्ट कहा कि पटना में कोल्ड डे की स्थिति और कम तापमान रहने के कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है। इसलिए दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144 के तहत 23 जनवरी तक जिले के आठवीं तक के सभ निजी और सरकारी स्कूलों के आंगनबाड़ी केंद्र और कोचिंग संस्थान को बंद करने का आदेश जारी किया गया है। दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144 के तहत "उन मामलों में, जिनमें जिला दण्डाधिकारी की राय में इस धारा के अधीन कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त आधार है और तुरंत निवारण या शीघ्र उपचार करने का अधिकार है। वहीं  उपरोक्त आदेश की अवहेलना या उल्लंघन करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत दंडात्मक  कार्रवाई करने का प्रावधान है। इसमें छह माह तक जेल या जुर्माने के तौर पर एक हजार रुपये या फिर दोनों से दंडित करने का प्रावधान है।

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