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‘जैसे परशुराम ने ली भगवान राम की परीक्षा, वैसे ही…’: जयशंकर

तिरुवनंतपुरम.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राजनयिक स्थितियों को समझाने के लिए महाकाव्य रामायण से उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रों की परीक्षा उनके पड़ोसी देशों की ओर से ली जा सकती है। ठीक उसी तरह, जैसे कि भगवान राम की परीक्षा परशुराम ने ली थी। विदेश मंत्री ने शनिवार को कहा कि जिस तरह भगवान राम को लक्ष्मण की जरूरत थी, उसी तरह हर देश को मजबूत और भाई समान दोस्त की आवश्यकता है। जयशंकर ने यह बयान तिरुवनंतपुरम में तीसरे पी. परमेश्वरनजी स्मारक व्याख्यान के दौरान दिया।

यह कार्यक्रम संघ परिवार के प्रमुख संगठन भारतीय विचार केंद्रम की ओर से आयोजित किया गया। जयशंकर ने महाकाव्य के प्रसंगों का हवाला देते हुए कहा कि भगवान राम ने धनुष तोड़ने जैसी बड़ी परीक्षा उत्तीर्ण की और आज की दुनिया में देश भी इसी तरह की परीक्षाओं से गुजरते हैं। उन्होंने कहा, 'जब राष्ट्रों का उत्थान होता है तो उनके साथ बिल्कुल यही होता है। आइए हम अपने देश पर नजर डालें। मजबूत अर्थव्यवस्था से हम एक परीक्षा में पास हुए। परमाणु परीक्षण और परमाणु शस्त्रागार विकसित कर हमने एक और परीक्षा पास की। यह एक धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने जैसा है जो एक परमाणु धनुष है। यह एक प्रौद्योगिकी परीक्षण हो सकता है।'
विश्व व्यवस्था में बड़ी भूमिका की तैयारी करे भारत: जयशंकर  
विदेश मंत्री ने कहा कि जिस तरह राम की परीक्षा परशुराम ने ली थी, उसी तरह हमारी भी परीक्षा ली जा सकती है। इसलिए हमें अन्य स्थितियों में परखा जा सकता है। राष्ट्रों की परीक्षा पड़ोसियों की ओर से ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि आज की विश्व व्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाने के लिए भारत को तैयारी करनी चाहिए और उसे यह काम ऐतिहासिक व सभ्यतागत उत्तरदायित्व के बोध के साथ करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि वर्तमान विश्व में परंपरा के पास लोगों को सिखाने के लिए बहुत कुछ है। वैश्वीकरण के इस दौर में इतिहास, परंपरा व संस्कृति के कोण से देखने पर विश्व से संपर्क साधने का ठोस आधार प्राप्त होता है।

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