रायपुर। रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक की गारे पेलमा कोयला खदान महाराष्ट्र की बिजली उत्पादन कंपनी महाजेनको को आवंटित है। महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन रावत एक दिन पहले रायपुर आए थे और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर कोयला उत्खनन के लिए क्लीयरेंस मांगा था। छत्तीसगढ़ के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने महाराष्ट्र के लिए 44 बिंदुओं पर खनन की अनुशंसा जारी कर दी है। कोल ब्लॉक शुरू करने 214.869 हेक्टेयर वन भूमि की जरूरत है। खदान खुलने से लगभग 4 हजार पेड़ कटेंगे, जिसके लिए 10 वर्षीय क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण योजना तैयार की गई है
राजस्थान के बाद अब महाराष्ट्र को भी छत्तीसगढ़ सरकार ने कोयला खनन की मंजूरी दे दी है। महाराष्ट्र को आवंटित रायगढ़ जिले के गारे पेलमा सेक्टर-2 कोल ब्लॉक माइंस में खनन के लिए डायवर्सन की अनुमति जारी की गई है। सरकार 214.869 हेक्टेयर वन भूमि देने को तैयार हो गया है। छत्तीसगढ़ शासन ने महाराष्ट्र स्टेट पावर कंपनी द्वारा सभी औपचारिकता पूरी करने के बाद केंद्र सरकार को अनुशंसा पत्र भेज दिया है।
बता दें कि मार्च में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत छत्तीसगढ़ आए थे। उन्होंने कोयला नहीं मिलने पर राजस्थान में बिजली संकट की बात कही थी, जिसके बाद परसा कोल ब्लॉक में खनन की अनुमति जारी की गई है, जिसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों ने अडानी खनन कंपनी के जनरेटर व कैंप को 5 दिन पहले आग लगा दिये थे। ग्रामीण हथियारों से लैस होकर आए थे, जिसके बाद पुलिस व प्रशासन की टीम पहुंची थी। इसी तरह रायगढ़ जिले की गारे पेलमा कोल ब्लॉक से महाराष्ट्र में कोयला की आपूर्ति की जानी है। ग्रामीण इस माइंस को खोलने का विरोध कर रहे हैं।
महाराष्ट्र सरकार को आवंटित 22 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष उत्पादन क्षमता वाली गारे पेलमा सेक्टर-2 खदान रायगढ़ के तमनार ब्लॉक में है। इस खदान के लिए 214.869 हेक्टेयर वन भूमि को डाइवर्ट किया जाना है। गारे पेलमा का रकबा करीब 6 हजार 570 एकड़ है, जहां खनन होना है। खनन शुरू करने के लिए तमनार ब्लॉक के दो दर्जन से ज्यादा गांवों के किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। एनओसी के बाद ग्रामीणों ने भारी विरोध किया था, जिसके बाद यह मामला लटक गया था। अब महाराष्ट्र सरकार ने एनओसी क्लीयरेंस की जानकारी होने के बाद फिर विरोध बढ़ने की आशंका है।