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जनादेश के बिना कोई भी शीर्ष पद नहीं लेना चाहते : बिलावल

कराची

 पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने खुलासा किया कि उन्होंने अपनी व पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी के बीच प्रधानमंत्री पद को लेकर हुए सत्ता साझेदारी फार्मूले को अस्वीकार कर दिया है और कहा है कि वह जनादेश के बिना शीर्ष पद नहीं लेना चाहते। पाकिस्तान के 35 वर्षीय पूर्व विदेश मंत्री बिलावल पीपीपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे।

पाकिस्तान में आठ फरवरी को हुए नेशनल असेंबली के चुनावों में बिलावल की पार्टी 54 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी जबकि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने 101 सीटें और नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने 75 सीटों पर जीत हासिल की थी।

सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी को 266 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 133 सीटों पर जीत हासिल करनी थी। हालांकि इस बार 265 सीटों पर चुनाव लड़ा गया था। पीपीपी और पीएमएल-एन ने चुनाव के बाद गठबंधन बनाया था और दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व के बीच कई बैठकों के बावजूद सत्ता-साझा करने के फॉर्मूले पर आम सहमति नहीं बन पाई।

सिंध प्रांत में पीपीपी की जीत का जश्न मनाने के लिए थट्टा में एक रैली को संबोधित करते हुए बिलावल ने कहा, ”मुझसे (पीएमएल-एन) ने कहा था कि हमें तीन साल के लिए प्रधानमंत्री बनने दें और फिर शेष दो वर्षों के लिए आप प्रधानमंत्री पद ले सकते हैं।” उन्होंने कहा, ”मैंने उन्हें मना कर दिया। मैंने कहा कि मैं इस तरह से प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहता।” बिलावल ने कहा, ”मैं प्रधानमंत्री तभी बनूंगा जब पाकिस्तान के लोगों मुझे चुनेंगे।”

बिना किसी का नाम लिए बिलावल ने कहा कि पार्टी ने फैसला किया है कि वह सरकार में कोई मंत्रालय नहीं मांगेगी। बिलावल ने कहा कि उनके पिता आसिफ अली जरदारी राष्ट्रपति पद के लिए पीपीपी के उम्मीदवार होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी राजनीतिक तनाव को कम करने में अपनी अहम भूमिका निभाएंगे।

उन्होंने कहा, ”देश में फैली आग पर काबू पाने के लिए हमने फैसला किया है कि राष्ट्रपति चुनाव में आसिफ अली जरदारी हमारे उम्मीदवार होंगे। जब वह (आसिफ अली जरदारी) पद संभालेंगे तो इस आग को बुझाकर केंद्र व प्रांतों को बचाएंगे।” बिलावल ने कहा कि देश को एक ऐसे राजनीतिक दल की जरूरत है, जो लोगों की समस्याओं के बारे में बात करे। उन्होंने कहा कि बढ़ते आर्थिक और राजनीतिक संकट ने समाज को विभाजित कर दिया है।

 

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