मध्य प्रदेश

उच्च शिक्षा विभाग के न्यायालयीन मामलोें से हटाया जाएगा मुख्य सचिव का नाम

भोपाल

उच्च शिक्षा विभाग के प्रदेशभर के न्यायालयों में चल रहे सैकड़ों प्रकरणों से अब मुख्य सचिव का नाम विलोपित किया जाएगा। उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय, व्यवहार न्यायालय के लंबित प्रकरणों को तीन माह में अभियान चलाकर निपटाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक उच्च शिक्षा विभाग के उच्चतम न्यायालय से लेकर उच्च न्यायायालय और  व्यवहार न्यायालयों में सैकड़ों की संख्या में प्रकरण लंबित चल रहे हैं। इनमें कई न्यायालयीन प्रकरणों में मुख्य सचिव को पक्षकार बनाया गया है।

ऐसे में सभी न्यायालय चाहते है कि मुख्य सचिव स्वयं हर प्रकरण में न्यायालय में उपस्थित होकर जवाब दे। मुख्य सचिव को प्रदेश के सभी सरकारी महकमों से जुड़े कामों, कैबिनेट बैठक, मुख्यमंत्री की बैठकों सहित कई  कामों को अंजाम देना होता है। लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता भी लगने वाली है। ऐसे में सरकार और आयोग के बीच कड़ी का काम भी मुख्य सचिव को करना पड़ता है। इस दौरान सारी अनुमतियां, नीतियों योजनाओं को चुनाव आयोग से समन्वय बनाकर मंजूरी दिलाना, जैसी कई व्यस्तताएं होती है। ऐसे में हर न्यायालयीन प्रकरण में मुख्य सचिव का उपस्थित होना संभव नहीं होता। इसलिए अब उच्च शिक्षा विभाग से जुड़े सभी तरह के न्यायालयीन प्रकरणों में मुख्य सचिव का नाम विलोपित किया जाएगा। विभाग के दूसरे अफसरों को इसमें पक्षकार बनाया जाएगा जो विभाग की ओर से पक्ष रखेंगे और जवाब देंगे।

उच्च शिक्षा आयुक्त ने जारी किए निर्देश
उच्च शिक्षा आयुक्त निशांत बरबड़े ने सभी विवि के कुलसचिव, सभी क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक,  प्राचार्य अग्रणी महाविद्यालय, प्राचार्य प्रकरण प्रभारी अधिकारी शासकीय महाविद्यालय और नोडल अधिकारी विधि प्रकोष्ठ को जबलपुर, ग्वालियर और इंदौर संभाग के सभी क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालकों को निर्देश जारी कर कहा है कि न्यायालयीन प्रकरणों से मुख्य सचिव का नाम विलोपित किया जाएगा।

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