छत्तीसगढ़

कमल छोड़ झाड़ू चलाने वाले भागीरथी मांझी ने मारी पलटी, नाम वापस लेकर कहा- मैं बीजेपी का सिपाही, आप पार्टी चुनाव मैदान से बाहर, कहीं सोची-समझी चाल तो नहीं?

गरियाबंद। भाजपा से बागी होकर ‘आप’ पार्टी की ओर से नामांकन दाखिल करने वाले भागीरथी मांझी ने नाम वापसी के पहले ही दिन अपना नाम वापस ले लिया. इस घटनाक्रम से जहां आप पार्टी में हड़कंप मच गया है, वहीं मांझी ने कहा कि मैंने बहकावे में आकर आपका झाड़ू चलाने लगा था, मेरी निष्ठा हमेशा भाजपा के साथ है. वहीं नाम वापसी से चुनाव मैदान से बाहर हो चुकी आप पार्टी को गहरा सदमा लगा है। वहीं भाजपा द्वारा सदस्यता समाप्त नहीं किए जाने पर सवाल उठ रहे हैं। कहीं आप पार्टी को चुनाव मैदान से बाहर करने की साजिश तो नहीं थी।

बिंद्रा नवागढ़ के सियासत में अब फिर से नया मोड़ आ गया. भागीरथी मांझी आज सुबह निर्वाचन कार्यालय पहुंचकर अपना नाम वापस ले लिया. रिटर्निंग अफसर अर्पिता ने इसकी पुष्टि भी किया है. नामांकन वापसी के बाद मांझी ने कहा कि वे किसी पार्टी के पास टिकट मांगने नहीं गए थे. भाजपा में टिकट के दावेदार था, नहीं मिलने का दुख था. इसी बीच पार्टी ने संपर्क कर टिकट थमा दिया. मुझे सोचने-समझने का समय भी नहीं दिया गया. मैं भाजपा का सिपाही हूं, मेरी निष्ठा पार्टी से जुड़ी है.

मांझी के नाम वापसी के बाद अब आप पार्टी चुनावी मैदान से बाहर हो गई है. इस सियासी घटना ने आप के नेतृत्व को हिला कर रख दिया है. आप पार्टी के जिला अध्यक्ष सियाराम ठाकुर ने कहा अब तक मुझे इसकी जानकारी नहीं है, सुन रहा हूं. टिकट पार्टी से जुड़े लोगों को देने की मैंने सिफारिश की थी. ऊपर वालों ने बगैर सोचे-समझे प्रत्याशी बना दिया. सियाराम ने आरोप लगाया है कि प्रत्याशी को लालच देकर नाम वापस कराया गया है.

बता दें कि भाजपा के कद्दावर नेता में भागीरथी की गिनती होती थी. आप ज्वाइन करने के बाद भी उनकी सदस्यता पार्टी ने समाप्त नहीं की थी. ऐसे में यह सोची समझी चाल भी मालूम पड़ती है। घर वापसी के लिए पार्टी के बड़े नेता लगातार संपर्क में थे. बाबा उदय नाथ भागीरथी के करीबी हैं. भागीरथी के घर वापसी में बाबा उदय नाथ का अहम योगदान है. भागीरथी के आप प्रत्याशी बनाए जाने के बाद कांग्रेस के माहौल के बीच भाजपा संकट में नजर आ रहा था. लेकिन भागीरथी की घर वापसी के बाद अब भाजपा का पक्ष मजबूत हो गया है.

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