रायपुर। स्वर्गीय अजीत जोगी की पत्नी व कोटो विधानसभा क्षेत्र से जोगी कांग्रेस की विधायक डॉ. रेणु जोगी इस समय मरवाही विधानसभा में डेरा डालीं हुईं हैं। उन्होंने साफ रूप से कहा है कि सिर्फ जोगी परिवार से बदला लेने के लिए चुनाव लड़़ने रोका गया। कांग्रेस यदि 70 वां विधायक जीता कर भी ले आती है तो उससे क्या फर्क पड़ने वाला है। इस चुनाव से ऐसा लग रहा है कि सत्ता का खुलेआम दुरूपयोग किया जा रहा है। कुल मिलाकर इससे जनता को ही नुकसान झेलना पड़ेगा।
डॉ. रेणु जोगी का कहना है कि वर्ष 1986 में IAS से इस्तीफा देकर राजनीति में आए। शहडोल और रायगढ़ रिजर्व सीट से लोकसभा का चुनाव लड़े तब जाति से संबंधित विवाद नहीं था बाद में कुछ लोगों ने विरोध करना शुरू किया और इसे एक राजनीतिक मुद्दा बना दिया गया। इन 33 सालों में अजीत जोगी के खिलाफ भ्रष्ट्राचार का कोई मुद्दा नहीं था तो लोग इसी को मुद्दा बना लिए। अवैध रूप से धन अर्जित करने में पूरे परिवार की कभी कोई रुचि नहीं रही, जो कुछ भी पेंशन और तनख्वाह के रूप में मिल रहा था उससे हम संतुष्ट थे।
छत्तीसगढ़ बनने के बाद गांव, गरीब और किसान के दर्द को उन्होंने समझा और धान खरीदी की शुरूआत। धान की कीमत सम्मानजनक होना चाहिए ऐसा वे हमेशा चाहते थे। जब वे कांग्रेस में थे तब हमेशा घोषणा पत्र में यह प्रमुखता से होता था। पिछले विधानसभा चुनाव में जब हब सब कांग्रेस से अलग हुए तब कांग्रेस की सुनामी चल पड़ी और कांग्रेस के 69 विधायक निर्वाचित हो गए। अब मरवाही से चुनाव जीतकर 70वां विधायक बनाने के लिए इतना जी-जान आखिर कांग्रेस के लोग क्यों लगा रहे हैं। जोगी परिवार से कांग्रेस के लोग किस बात का बदला लेना चाह रहे हैं यह समझ से परे है। जब तक जोगी जी जिंदा थे, तब तक उनका विरोध करना समझ में आता था। अब उनके जाने के बाद आखिर उनका अपमान क्यों करना चाहते हैं और ऐसा करके क्या मिलेगा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जब उत्तरप्रदेश से चुनाव लड़तीं हैं तब उनका सम्मान करते हुए बसपा और समाजवादी पार्टी सीट छोड़ देती है।
डॉ. रेणु जोगी ने कहा कि जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की पहली सरकार बनी तब मेरे पति ने भूपेश बघेल के प्रति किसी तरह का दुर्भावना नहीं रखा और उन्हें अपने मंत्रीमंडल में शामिल किया। फिर अभी दुर्भावना क्यों ? तब उन्हें राजस्व और पीएचई जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी। उस समय वे मुख्यमंत्री के साथ संबंद्ध थे। ऐसा वे इसलिए किए कि भूपेश बघेल योग्य हैँ और वे आगे ठीक तरह से कामकाज को समझेंगे। जोगी जी की तरफ से सम्मान में कहीं कोई कमी नहीं थी लेकिन आज स्थिति बहुत दुर्भाग्यजनक है।
मरवाही उपचुनाव में सारे मंत्री, सारे विधायक यहां डेरा डाले हुए हैं। इतना खर्च हो रहा है। इससे सरकार को ही नुकसान हो रहा है। 70वां विधायक जीतकर भी आ गया तो क्या होगा। अभी तो बड़े-बड़े विधायक मार्गदर्शक मंडल में हैं। जिसमें सत्यनारायण शर्मा, धनेंद्र साहू, अमितेश शुक्ला, अरुण वोरा शामिल हैं। इन सबके अनुभवों का लाभ सरकार को लेना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।