उपराष्ट्रपति ने शंकर शाह, कुंवर रघुनाथ शाह को दी श्रद्धांजलि…
भोपाल। मध्यप्रदेश के जबलपुर पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जस्टिस जेएस वर्मा स्मृति व्याख्यानमाला शामिल हुए। इसके बाद वे मालगोदाम स्थित अमर शहीद राजा शंकर शाह, कुंवर रघुनाथ शाह के प्रतिमा स्थल में जाकर श्रद्धांजलि देने पहुंचे। इस दौरान आदिवासियों ने आदिवासी लोकनृत्य कर उपराष्ट्रपति का भावभीना स्वागत किया, जहां उपराष्ट्रपति ने आदिवासियों से मिलकर उनका अभिवादन किया।
मैं आज पहली बार मध्यप्रदेश की धरती पर आया हूं। मुझे जहां जबलपुर आने का सौभाग्य मिला। आज के बिताए समय को मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा। मैं आज धन्य हो गया। मैं देख रहा हूं कि आदिवासी समाज का सपना पूरा हो रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किए गए कार्यों को देखकर मैं आश्चर्यचकित हूं। हमें गर्व होता है कि एमपी में पिता-पुत्र (अमर शहीद राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह) के शौर्य ने एक नई इबारत लिखने का काम किया। उन्होंने मौत को स्वीकार किया और भारत माता को पहले रखा, यह हमारे लिए प्रेरणादायक है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं राज्यपाल मंगूभाई का वक्तव्य सुन रहा था। वह दिमाग से नहीं दिल से बोलते हैं। उनका आदिवासियों के प्रति प्रेम दूर से ही झलकता है। हमारा देश बदल रहा है। इस बदलते भारत में जनजाति समाज का भी महत्वपूर्ण योगदान है। मुख्यमंत्री ने राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह का संग्रहालय बनाने की नींव रखी है, यह संग्रहालय बनने के बाद मैं फिर दोबारा आऊंगा। जबलपुर की इस वीर धरती को मैं प्रणाम करता हूं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वेटरनरी कॉलेज में आयोजित बलिदान दिवस कार्यक्रम में कहा कि इस वर्ष से ही पेशा कानून लागू कर दिया जाएगा। उन्होंने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस पर सार्वजनिक अवकाश का ऐलान करते हुए कहा- ग्रामीण अपना तेंदूपत्ता खुद ही तोड़ सकेंगे और खुद ही बेच सकेंगे। वन विभाग से इसका कोई लेना देना नहीं होगा। वहीं, अब राशन का परिवहन ठेकेदार द्वारा नहीं किया जाएगा। इसके लिए सरकार स्वयं वाहन खरीदेगी और रोजगार देने का काम करेगी, जिसकी योजना बना ली गई है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के डुमना एयरपोर्ट पहुंचने पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। वहीं, सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उपराष्ट्रपति की अगवानी की। उपराष्ट्रपति के साथ राज्यपाल मंगू भाई पटेल सहित अन्य मंत्री मौजूद रहे। यहां से कुछ देर बाद उपराष्ट्रपति तन्खा मेमोरियल ट्रस्ट की रजत जयंती पर मानस भवन में जस्टिस जेएस वर्मा स्मृति व्याख्यानमाला के कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान राज्यपाल मंगुभाई पटेल, सीएम शिवराज सिंह चौहान, मध्यप्रदेश के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और सुप्रीम कोर्ट के जज ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। उपराष्ट्रपति ने कहा- जस्टिस जेएस वर्मा द्वारा दिए गए फैसले हमेशा न्यायसंगत रहते थे। उनका कार्यकाल भुलाया नहीं जा सकता। आज मुझे मध्यप्रदेश की धरती में आने का सौभाग्य मिला है।
जस्टिस वर्मा मेमोरियल कमेटी के चेयरमैन और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा- सन् 1970 और 80 में मध्यप्रदेश के जज रहे जस्टिस वर्मा अपने फैसलों के लिए जाने जाते हैं। सभी उनके फैसलों से डरते थे। जस्टिस वर्मा वकील होते हुए अच्छे तर्क रखा करते थे। यही वजह रही है कि जूनियर जस्टिस वर्मा के नाम से कांप जाते थे। वहीं, राज्यसभा सांसद तन्खा ने गर्वनर मंगुभाई पटेल को संवेदनशील राज्यपाल बताया। उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान के 15 वर्ष में किए गए स्वास्थ्य के प्रति कार्य और योजना की प्रशंसा की।
इस अवसर पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा जस्टिस वर्मा के नाम से मध्य प्रदेश का सीना चौड़ा हो जाता है। इस कार्यक्रम के लिए आयोजक को धन्यवाद देता हूं। वहीं, उन्होंने उपराष्ट्रपति के पहली बार मध्यप्रदेश की धरती में आगमन पर आभार जताया। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रहे हैं, यह उनका परिवार है। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने जस्टिस वर्मा के विशाखा फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि उसी फैसले के कारण आज महिलाएं स्वाभिमान की जिंदगी व्यतीत कर रहीं हैं। उनके इस फैसले से आज देश को और मध्यप्रदेश को गौरव होता है।
व्याख्यानमाला के दौरान सीएम ने कहा कि न्याय की भाषा मातृभाषा क्यों नहीं हो सकती? उन्होंने कहा- मध्यप्रदेश में इस वर्ष से मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में शुरू की जा रही है। हिंदी भाषा हमारे लिए गौरव की भाषा है। उन्होंने दुष्कर्म के मामले में न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका से गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता भी जताई। उन्होंने कहा 92% दुष्कर्म के मामले परिचित द्वारा ही करना पाया जाता है। ऐसे दोषियों के विरुद्ध वज्र से ज्यादा कठिन कार्रवाई होनी चाहिए। आज देश के नागरिक किसी पर आंख बंदकर विश्वास करते हैं तो वह भारत की न्यायपालिका में करते हैं। जहां उन्हें विश्वास होता है, कि हमें इंसाफ मिलेगा।
जस्टिस वर्मा के कुछ महत्वपूर्ण फैसले…
- ऐतिहासिक विशाखा फैसला। इसी के बाद सरकार ने कार्यस्थल पर महिला सुरक्षा दिशा-निर्देश तय किए।
- 1994 में एसआर बोमई मामले में राष्ट्रपति के विधानसभा भंग करने के अधिकार को परिभाषित किया।
- आर्म्स एक्ट के तहत 1997 में संजय दत्त के खिलाफ फैसला सुनाया।
- 1996 में निलावती बेहरा की चिट्टी को पीआईएल मानते हुए फैसला सुनाया ।
- 1994 में जमात-ए-इस्लामी को गैरकानूनी घोषित करने के सरकार के फैसले को खारिज कर दिया।