मध्य प्रदेश

22 लाख रुपये के गेहूं घोटाले में तीन अधिकारियों को सात-सात की सजा

लेजर बुक में कांट-छांट कर स्टाक में बढ़ा हुआ गेहूं दिखाकर किया था घपला

भोपाल। केन्द्रीय भण्डारण निगम में आठ वर्ष पुराने गेहूं गबन के मामले में निगम के कर्मचारी रहे राजेश बाथम, विश्वजीत कुरसंगे और रमेश बंसल को सात-सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई है। उन्हें 10-10 हजार रुपये अर्थदंड भी चुकाना होगा। यह फैसला विशेष न्यायाधीश लोकायुक्त डा. धर्मेन्द्र टाडा के न्यायालय ने शनिवार शाम को सुनाया। न्यायालय ने अपने निर्णय में लिखा कि अपराध की गंभीरता और समाज पर पडऩे वाले प्रभाव को देखकर आरोपितों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। वहीं दो आरोपितों प्रकाश गुप्ता और खालिद को न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया।

यह है मामला

केन्द्रीय भण्डारण निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक अरविन्द चौधरी ने दिसंबर 2015 में थाना अशोका गार्डन में एक लिखित आवेदन पत्र देकर वहां कार्यरत राजेश बाथम, विश्वजीत कुरसंगे, रमेश बंसल, व अन्य के विरुद्ध शिकायत करते हुए जांच की मांग की थी। सेंट्रल वेयरहाउस टीम ने जांच में यह पाया गया कि मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन लि. के वेयरहाउस में मेसर्स एमपीएससीएससी लि. की वर्ष 2015-16 की गेहूं फसल के स्टाक में लगभग 1516.08 क्विंटल की कमी थी। इसका मूल्य लगभग 21.98 लाख रुपये था। राजेश बाथम, भंडारण एवं निरीक्षण अधिकारी 28 मार्च 2015 से 14 मई 2015 तक वेअरहाउस प्रबंधक थे। 14 मई से विश्वजीत कुरसंगे वेयरहाउस प्रभारी और रमेश बंसल गोदाम सहायक थे। इसी को लेकर इन पर मामला दर्ज किया गया था। जांच में पाया गया कि तीनों आरोपियों ने सुरक्षा गार्ड और कुछ अन्य आरोपियों के साथ मिलीभगत कर साजिश की। इसके लिए यह तीनों लेजऱ बुक में काट-छांट करते थे और उस गेहूं के स्टाक गोदाम में बताते थे जो होता ही नहीं था। स्टाक रिजस्टर में स्टाक की एंट्री नहीं की जाती थी, फर्जी तरीके से स्टाक रजिस्टर मेंटेन किया जाता था, जिससे गेहूं के स्टाक की चोरी की जा सके।

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