छत्तीसगढ़

गरियाबंद की यह तस्वीर छत्तीसगढ़ के किसानों की अंधश्रद्धा के साथ व्यवस्था पर भरोसे की बता रही दास्तां…

गरियाबंद। कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, अऋणी कृषकों के लिए फसल बीमा की अंतिम तिथि 16 अगस्त थी. अंतिम तिथि तक कुल 15118 अऋणी कृषकों ने फसल बीमा कराया है, जबकि पिछले खरीफ सीजन में इनकी संख्या महज 1410 थी. इस तरह से पिछले बार की तुलना में इस बार कृषि ऋण लेने वालों की संख्या में 15 गुना का इजाफा हुआ है. बता दें कि ऋण लेने वाले किसानों के लिए फसल बीमा अनिवार्य होता है, जिनकी संख्या एक लाख से ज्यादा है. लेकिन ऋण नहीं लेने वाले कृषकों के लिए फसल बीमा लेना उनकी स्वेच्छा पर निर्भर होता है.

खेती-किसानी करने वाले किसान मासूम होते हैं, लेकिन दिमाग के कच्चे नहीं होते. इस बात को गरियाबंद जिले के किसानों ने साबित कर दिया है. मानसून में बारिश की आंख-मिचौली से सूखे पड़ रहे खेतों को देख एक ओर जहां किसान इंद्रदेव को खुश करने के लिए मेढ़क-मेढकी का विवाह करा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर फसल बीमा कराकर भविष्य के खतरे को खत्म कर रहे हैं.

झखरपारा इलाके से बीमा कराने पहुंचे 8 एकड़ खेत के मालिक कुलेंद्र दास और 6 एकड़ के मालिक दिलीप सिंह ध्रुवा ने बताया कि यह समय रोपा बियासी का है, लेकिन खेत सूख गए हैं, दरारें पड़ गए हैं, पानी गिरने का कोई आसार नजर नहीं आ रहा. गिरा भी तो अब उत्पादन प्रभावित होगा, इसलिए बीमा करवा रहे हैं. इससे मूलधन की कुछ तो भरपाई होगी. जिला कृषि अधिकारी संदीप भोई भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि जिन तहसीलों की औसत बारिश 60 फीसदी से कम हुई है, वहीं बीमा कराने वालों की संख्या ज्यादा है.

बारिश के लिए इलाके के कई गांव में पूजा-पाठ जारी है. अमलीपदर तहसील के झरगांव में मेढ़क व मछली का विवाह का टोटका किया गया तो पिछले 5 दिनों सारगीगुड़ा के ग्रामीण निरंतर भागवत गीता का पाठ कर बारिश के लिए भगवान को प्रसन्न करने में जुटे हैं. यहां के किसान विग्नेश्वर ठाकुर ने बताया कि 20 साल पहले भी ऐसी नौबत आन पड़ी थी. सावन बीतने के बाद भी रोपा बियासी नहीं हो सका था, बाप-दादाओं ने पूजा-पाठ किया और उसका फल भी मिला. अब हमने फसल को भगवान भरोसे छोड़ दिया है.

राजस्व विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, 17 अगस्त तक अमलीपदर तहसील में औसत बारिश 43.0%, देवभोग में 55.3% और मैनपुर में 60.2% दर्ज किया गया है. छुरा में 92 % के अलावा पर्याप्त सिंचाई सुविधा वाले राजिम में 133% व गरियाबंद में 114% बारिश दर्ज है. एक्सपर्ट के मुताबिक, सूखा घोषित करने के लिए सितम्बर तक होने वाली बारिश का माप होता है. तय मापदंड के मुताबिक, औसत बारिश 40 % से कम होनी चाहिए, मिट्टी में नमी, प्रभावित क्षेत्र में जलाशय व अन्य जल स्रोत में जलभराव की स्थिति, खाद विक्रय की स्थिति का आंकलन कर रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाती है.

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