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मछली पालन का व्यवसाय शुरू करें कम लागत में, अच्छा मुनाफा के साथ मिलेगा सरकार की मदद …

रायपुर। भारत, चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा जलकृषि देश है. प्रदेश में पिछले चार सालों में मत्स्य बीज उत्पादन में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. राज्य में पिछले चार वर्षों में 2400 से ज्यादा तालाब बनाए जा चुके हैं. इसी के साथ जलाशयों और बंद पड़ी खदानों में अतिरिक्त और सघन मछली उत्पादन के लिए केज स्थापित करवाए गए है.

छत्तीसगढ़ में मछली पालन को खेती का दर्जा मिलने से मछली पालन के लिए सुविधाओं में जहां वृद्धि हुई हैं, वहीं इस व्यवसाय से राज्य में कई महिला स्व-सहायता समूह जुड़ रही हैं. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ मत्स्य बीज उत्पादन में 5वें और मत्स्य उत्पादन में देश के 6वें स्थान पर हैं. राज्य में हर साल साढ़े 5 लाख मीट्रिक टन मछली का उत्पादन किया जाता है.

उत्तर बस्तर कांकेर जिला का एक तहसील पखांजूर इलाके में पांच हजार से अधिक किसान मछली पालन से जुड़े हैं. मछली बीज और मछली उत्पादन से यहां के मत्स्यपालकों का औसत वार्षिक टर्नओवर 500 करोड़ रुपए से अधिक है. इसमें भी लगभग 125 करोड़ की आमदनी दूसरे राज्यों को मछली बीज भेज कर होती है. यहां से महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों में मछली बीज की सप्लाई की जाती है.

मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए मछुआरों को किसानों के समान ही बिना ब्याज के लोन दिया जा रहा है. अब लोग मत्स्य पालन के लिए सहकारी समितियों से शून्य प्रतिशत ब्याज में आसानी से लोन ले सकते है. छत्तीसगढ़ लैंडलॉक प्रदेश होने के चलते राज्य में मत्स्य पालन स्वयं की भूमि में तालाब का निर्माण करवा रहे है. पिछले ढाई साल में लगभग एक हजार नए तालाबों का मछली पालन के लिए निर्माण कराया गया है. सरकार इसलिए सामान्य वर्ग के मछली पालकों 4 लाख 40 हजार रुपए और अनुसूचित जाति, जनजाति इसके साथ महिला हितग्राहियों को 6 लाख 69 हजार रुपए का अनुदान सहायता करती है.

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रदेश में मछली पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मछली पालन से जुड़े वस्तु, साधन खरीदने के लिए लोन का प्रावधान किया गया है ,जिससे इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को रोजगार मिल सके तथा मछली पालन व्यवसाय को प्रोत्सान मिल सके. मछली को पौष्टिक आहार माना जाता है. राज्य सरकार 10 दिवसीय विभागीय प्रशिक्षण, राज्य के बाहर अध्ययन भ्रमण, तीन दिवसीय रिफ्रेशन कोर्स, मछली पालन प्रसार आदि कार्यक्रम के माध्यम से लोन और सब्सिडी उपलब्ध कराती है.

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