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मरीजों को बिना बेहोश किए आधुनिक पद्धति से करेंगे ऑपरेशन, रामकृष्ण अस्पताल में डॉक्टरों का सम्मेलन…

रायपुर. रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल के मेडिकल व मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. संदीप दवे 30 वर्षों से अधिक अनुभवी व कुशल सर्जन के रूप में प्रतिष्ठित हैं. रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल को अपने परिश्रम व प्रयासों से श्रेष्ठ हॉस्पिटल का दर्जा प्राप्त करने में समर्पित ढंग से जुटे रहते हैं एवं इस तरह की नये-नये तकनीक लोगों के लिए प्रदर्शित करते रहते हैं.

रामकृष्ण केयर अस्पताल में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के न्यूरोसर्जन, न्यूरोलॉजी और न्यूरो से संबंधित डॉक्टर्स का सम्मेलन रखा गया है, जिसमें विभिन्न प्रकार के मस्तिष्क व नस से संबंधी बीमारियों के बारें में परिचर्चा रखा गया है. इसमें मरीजों का आज से लाइव सर्जरी होगा, जिसमें मस्तिष्क का ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन, गले की नस का दबाव का ऑपरेशन, कमर के दबे हुए नस का ऑपरेशन और नाक के रास्ते से Pituitary का ऑपरेशन किया जाएगा. उक्त बीमारियों का ऑपरेशन रामकृष्ण केयर के न्यूरोसर्जन डॉ. एस.एन. मढ़रिया एवं हैदराबाद से आए हुए सर्जन डॉ. मानस पानीगिरी एवं जबलपुर से आए सर्जन डॉ. शैलेन्द्र रात्रे, डॉ. वायआर यादव द्वारा किया जाएगा.

उक्त ऑपरेशन आधुनिक पद्धति से किया जाएगा, जिससे मरीज को बहुत कम दर्द होता है और छोटा छिद्र बनाकर किया जाएगा. न्यूरोसर्जन डॉ. मढ़रिया ने बताया कि साइटिका, कमर दर्द के ऑपरेशन को बिना बेहोश करके बात करते-करते दूरबीन द्वारा किया जाएगा, जिसमें एक उंगली के टिप के बराबर दूरबीन द्वारा किया जाएगा. इस तरह के वर्कशॉप का उद्देश्य उपचार का अत्याधुनिक विधि को छत्तीसगढ़ के लोगों के सुविधा देने के लिए यहां के न्यूरोसर्जन को अवगत कराना होता है. नहीं तो इस तरह की सुविधा बड़े शहरों में ही निहित रहेगी.

अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धति ट्रायल एवं सुधार के सिद्धांत पर नहीं चलता यह विज्ञान पर आधारित होकर परफेक्शन के साथ किया जाता है और मोटिवेशन एक अच्छी ऑपरेशन को देखकर होता है. अगर कोई सर्जरी अच्छी दिख रही है उसका मतलब यह नहीं है कि सरल या कठिन है. इसका मतलब यह होता है कि उसको अच्छे तरीके से प्लानिंग करके किया जा रहा है. यही प्रत्येक सर्जरी के लिए आवश्यक होता है, जिसको इस तरह के वर्कशॉप में बताया जाता है,

क्योंकि आधुनिक समय में जो नई विधा और मशीनों का अविष्कार हो रहा है, उससे ऑपरेशन करने के तरीके में परिवर्तन हो रहा है, जिसे जानने और समझने की आवश्यकता है, लेकिन मानव शरीर के बनावट हजारों वर्षों से वैसी ही है भले उसको नई विधा को सिखने का सबसे अच्छा माध्यम इसके स्पेशिलिस्ट के सुपरविजन में करना होता है और सिखना होता है.

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