मध्य प्रदेश

एमपी मेडिकल यूनिवर्सिटी ने 122 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने से किया इंकार

मान्यता लेने में लेटलतीफी और जरूरी मापदंडों में पाई गई कमी, फिर से फर्जीवाड़ा करने का संदेह भी

भोपाल। एमपी मेडिकल यूनिवर्सिटी ने नर्सिंग कॉलेजों के मामले में प्रदेश में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बॉडी ने प्रदेश के 122 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने से इंकार कर दिया है। इन कॉलेजों ने मान्यता लेने में लेटलतीफी की और नर्सिंग कॉलेज चलाने के लिए जरूरी मापदंडों को पूरा नहीं किया था। यह सभी कॉलेज सत्र 2019- 20 और 2020-21 के लिए मान्यता लेने में देरी कर रहे थे। इनके द्वारा हीला हवाली भी बरती जा रही थी। यूनिवर्सिटी को संदेह है कि ये नर्सिंग कॉलेज कहीं फिर से कोई फर्जीवाड़ा तो नहीं कर रहे। ऐसे में इन सभी नर्सिंग कॉलेजों के संचालकों की नींद उड़ी हुई है।

दो माह पहले पकड़े गए फर्जीवाड़ा के बाद से काउंसिल बॉडी सख्त

ज्ञात हो, दो माह पहले पकड़े गए नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा के बाद इस बार मेडिकल यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल बॉडी ने तमाम नियम कायदों और मापदंडों को बारीकी से परखा है। परिणामस्वरूप 173 नर्सिंग कॉलेजों के मान्यता आवेदन में से सिर्फ 51 को ही आगामी सत्र के लिए ही मान्यता दी गई। दरअसल, मेडिकल यूनिवर्सिटी का एकेडमिक कैलेंडर बेहद खराब हो गया है। लगभग अधिकांश पाठ्यक्रमों की परीक्षा समय पर नहीं हो पा रही है। इसकी मूल वजह निजी कॉलेजों की अनियमितता मानी जा रही है। बताया जाता है इसीलिए अपनी साख बचाने और नींव मजबूत बनाए रखने के लिए ऐसे कठोर निर्णय लेना मेडिकल यूनिवर्सिटी ने तय किया है।

कहीं फिर कोई वैसी ही गड़बड़ी तो नहीं!

बताया जा रहा है कि एग्जीक्यूटिव काउंसिल बॉडी द्वारा इन नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता नहीं देने के पीछे दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण कारण इन कॉलेजों द्वारा भारी-भरकम फीस लेकर छात्रों को एडमिशन देना भी माना जा रहा है। ये नर्सिंग कॉलेज आखिर किन वजहों से मान्यता लेने में लेटलतीफी करते रहे इसका एग्जीक्यूटिव काउंसिल बॉडी को ये कोई संतोषप्रद जवाब नहीं पाए। इसीलिए यूनिवर्सिटी को इसके पीछे बड़ी गड़बड़ी की आशंका है।

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