मध्य प्रदेश

मिशन 2023 : 2018 की गलती दोहराना नहीं चाहती भाजपा, चुनाव से 1 साल पहले मांगा गया विधायकों का रिपोर्ट कार्ड

70 से 80 विधायकों की स्थिति अच्छी नहीं होने से पार्टी चिंतित, कट सकता है कई विधायकों का टिकट

भोपाल। चुनाव में किसी भी पार्टी की जीत के लिए सबसे प्रमुख बात होती है टिकट का वितरण। जिस हिसाब से टिकट बंटते हैं, उसी हिसाब से परिणाम सामने आते हैं। यही कारण है कि 2023 में होने वाले चुनाव के परिणामों की चिंता करते हुए मध्य प्रदेश के लिए बीजेपी में अभी से मंथन शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश में अगले साल यानी 2023 में चुनाव होना है, लेकिन बीजेपी ने तैयारी अभी से ही शुरू कर दी है।

15 साल से काबिज बीजेपी का 2018 में विजय रथ रोकने में कामयाब रही थी कांग्रेस

एमपी में 15 साल से काबिज बीजेपी का 2018 में विजय रथ रोकने में कांग्रेस कामयाब रही थी। हालांकि यह बात अलग है कि 15 महीने बाद ही तख्तापलट हुआ और वापस से बीजेपी सत्ता में काबिज हो गई लेकिन 2018 के जो परिणाम से जो बीजेपी के लिए चौंकाने वाले थे क्योंकि कई मंत्री और विधायकों को हार का सामना करना पड़ा था। यही कारण है कि इस बार बीजेपी ने चुनाव से एक साल पहले ही विधायकों का आंतरिक सर्वे कराया है जिसमें उनके कामकाज और जनता के प्रति व्यवहार को परखा है। चूंकि, अब गुजरात चुनाव खत्म हो गए हैं, यही कारण है कि बीजेपी आलाकमान का फोकस अब मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर आकर टिक गया है।

कई विधायकों का रिपोर्ट कार्ड खराब

अगले विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने अब एमपी के बीजेपी विधायकों का विस्तृत रिपोर्ट कार्ड मांगा है। बताया जा रहा है कि इस रिपोर्ट कार्ड में 70 से 80 विधायकों की स्थिति खराब है जिसमें से 10 से 12 मंत्री भी शामिल हैं। इसको लेकर बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा का कहना है कि बीजेपी लगातार अपने किए गए कार्यों का मूल्यांकन और समीक्षा करती रहती है। जहां भी कमी होती है उन कमियों को बैठकों के माध्यम से पूरा करने का प्रयास किया जाता है। बीजेपी कांग्रेस की तरह पॉलिटिकल टूरिज्म नहीं करती है बल्कि वह 365 दिन जनता के बीच रहती है और अपनी योजनाओं को सफल क्रियान्वयन के लिए एक-एक कार्यकर्ता काम करता है इसीलिए हमारे यहां व्यक्ति नहीं बल्कि संगठन चुनाव लड़ता है।

बीजेपी की कवायद पर कांग्रेस ने ली चुटकी

इस आंतरिक रिपोर्ट पर कांग्रेस ने चुटकी ली है और कहा कि भले ही मध्यप्रदेश में बीजेपी गुजरात फार्मूले पर 2023 का चुनाव लड़ने का मन बना रही हो, लेकिन यह गुजरात नहीं मध्यप्रदेश है। यहां पर गुजरात फार्मूला सफल नहीं होगा, क्योंकि यहां कांग्रेस का नेतृत्व कमलनाथ कर रहे हैं। उनके नेतृ्त्व में 2018 में भी सरकार आई थी और इस बार 2018 से भी अधिक सीटें लेकर कांग्रेस सत्ता पर काबिज होगी।

दोनों दल कर रहे अपनी जीत का दावा

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर महज कुछ महीने का ही समय बचा है, ऐसे में बीजेपी हो या कांग्रेस इस जुगत में लग गए हैं कि आखिर कैसे अधिक से अधिक सीटों पर जीत दर्ज की जाए। हालांकि, एमपी में किस फार्मूले पर चुनाव होगा, यह तो आने वाला भविष्य ही बताएगा, लेकिन दोनों ही सियासी दल सत्ता में आने का दावा जरूर करते नजर आ रहे हैं।

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