मध्य प्रदेश

पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने ‘आजीविका मिशन’ में भ्रष्टाचार के लगाए आरोप

कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल ने पत्रकारवार्ता में लगाए आरोप

भोपाल। पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल ने एक पत्रकार वार्ता के दौरान राज्य सरकार एवं अफसरों पर मिली भगत कर आजीविका मिशन में जमकर भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए हैं। पटेल ने आजीविका मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ललित बेलवाल के विरुद्ध हुई जांच की रिपोर्ट मीडिया के सामने प्रस्तुत की। जिसमें सोशल एक्टिविस्ट भूपेंद्र प्रजापति की शिकायत की जांच करते हुए विभिन्न भर्तियों के मामले में ईमानदार आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या द्वारा जांच रिपोर्ट में बेलवाल के भ्रष्टाचारों को लेकर आपराधिक धाराएं लगाने की अनुशंसा की थी। इसके बाद से ही उक्त अधिकारी को परेशान किया जाने लगा।

पटेल ने कहा जांच अधिकारी नेहा ने अपनी जांच में 56 नंबर पेज पर बेलवाल द्वारा दस्तावेज चोरी कराने का लेख भी स्पष्ट तौर पर किया है। 366 भर्तियों में नोट शीट में हेराफेरी करते हुए पूर्व पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव के नाम का उपयोग करते हुए बिना भार्गव की टीप के मात्र उनसे चर्चा करना और सहमति प्रदान करने जैसे कूट रचित दस्तावेज तैयार किए गए। जांच रिपोर्ट के 46 नंबर पृष्ठ में पाया गया है कि भूपेंद्र प्रजापति द्वारा बेलबाल के विरुद्ध 8 शिकायतें विभिन्न जांच एजेंसियों को की गई थी। उनकी जांच आजीविका मिशन के अधिकारियों द्वारा ही कर दी गई, जो कि बेलवाल से कनिष्ठ अधिकारी थे।

आजीविका मिशन की महिला सदस्यों से वसूला दोगुना ब्याज

पटेल ने कहा कि कांग्रेस ने जब आजीविका मिशन की शुरूआत की थी तो निर्देश थे कि 12 प्रतिशत से अधिक ब्याज समूह सदस्य से नहीं लिया जावे, परंतु प्रदेश की भाजपा सरकार ने 24 प्रतिशत ब्याज महिला समूह सदस्यों से वसूला, जो आरबीआई के निर्देशों के विपरीत था। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आजीविका मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ललित बेलवाल मंत्री से ज्यादा पावरफुल हो गये हैं। यही नहीं ऐसे भ्रष्ट अधिकारी जो भ्रष्टाचार में दोषी पाये जाने और आपराधिक धाराएं प्रस्तावित होने के बावजूद मुख्यमंत्री उन्हें अपने साथ कार्यक्रमों में कुर्सी पर बैठाते हैं।

आईएएस नेहा मारव्या को मिली ईमानदारी की सजा

आईएएस नेहा मारव्या द्वारा ललित मोहन बेलवाल की शिकायत की जांच निरंतर 2 माह की गई तथा उपरोक्त जांच में बेलवाल के अलावा कई चेहरों को बेनकाब किया। जून 2022 में जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई। उसके बाद ही पंचायत चुनाव की आचार संहिता में नियम की अनदेखी कर उनका ट्रांसफर कर दिया तथा मंत्रालय में राजस्व विभाग के एक कमरे में बिना काम के 9 महीने तक बिठा कर रखा गया। यहां तक कि मारव्या को पानी पिलाने तक के लिए कर्मचारी उपलब्ध नहीं कराए गए तथा ट्रांसफर के समय इनसे गाड़ी तक छीन ली गई थी। जिसके बाद मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी पर ईमानदार अधिकारी नेहा मारव्या को परेशान करने का आरोप लगा।

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