मध्य प्रदेश

दिग्विजय के सर्जिकल स्ट्राइक वाले बयान से खड़ा हुआ सियासी तूफान

कांग्रेस ने किया किनारा: राहुल बोले- सेना से सबूत की जरूरत नहीं, यह उनका निजी विचार, इससे हम सहमत नहीं

भोपाल। अपने बयानों से आए दिन कांग्रेस की किरकिरी कराने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एक बार फिर विवादास्पद बयान से चर्चाओं में हैं। सोमवार को जम्मू में एक सभा में सर्जिकल स्ट्राइक पर दिए बयान से वे खुद ही घिर गए हैं। उनके बयान से कांग्रेस पार्टी ने पूरी तरह किनारा कर लिया है। कांग्रेस के सीनियर लीडर जयराम रमेश के बाद राहुल गांधी ने भी असहमती व्यक्त करते हुए यह उनका निजी विचार बताया।

भारत जोड़ो यात्रा में वर्तमान में जम्मू में पैदल चल रहे राहुल गांधी ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा है कि दिग्विजय सिंह के यह निजी विचार हैं, मैं और कांग्रेस पार्टी उनसे सहमत नहीं हैं। सेना जो भी करे सबूत की जरूरत नहीं। दरअसल, भारत जोड़ो यात्रा के प्रभारी दिग्विजय सिंह के एक बयान से सियासी तूफान आ गया है। उन्होंने सेना की तरफ से की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर एक बार फिर सवाल उठाए थे। सियासत गर्माने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को दोपहर में वीडियो जारी कर कहा है कि कांग्रेस उनके बयान से अलग है। राहुल गांधी ने कहा कि जो दिग्विजय सिंहजी ने कहा- उससे मैं बिल्कुल भी सहमित नहीं हूं। हमारी आर्मी पर पूरा भरोसा है। आर्मी कुछ करे तो सबूत देने की जरूरत नहीं है। मैं व्यक्तिगत रूप से उनके बयान से असहमति व्यक्त करता हूं और उनका यह बयान कांग्रेस का ऑफिशियल स्टेटमेंट नहीं है।

दिग्विजय सिंह ने दिया था यह बयान…

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सोमवार को 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक पर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जम्मू में एक सभा में कहा कि सरकार ने अब तक सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत नहीं दिया है। केंद्र सरकार सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में बात करती है कि हमने इतने लोग मार गिराए हैं, लेकिन सबूत कुछ नहीं है। दिग्विजय ने सर्जिकल स्ट्राइक के अलावा 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले को लेकर भी प्रधानमंत्री को घेरा। दिग्विजय ने दावा किया कि पुलवामा हमले के वक्त सीआरपीएफ अफसरों ने प्रधानमंत्री से कहा था कि जवानों को एयरक्राफ्ट से मूवमेंट कराया जाए, जवानों को एयरक्राफ्ट से भेजिए, पर प्रधानमंत्री नहीं माने। ज्ञात हो कि 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हुए थे। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। उस वक्त भी विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाए थे और तीखी आलोचना की थी।

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