नई दिल्ली

मंगलुरु में बम धमाके की साजिश, हिंदू बनकर सावरकर का पोस्टर लगाने पर दो लोगों को चाकू घोंप चुका यह शख्स…

नई दिल्ली। कर्नाटक के शिवमोगा जिले के तीर्थहल्ली के रहने वाला शारिक पहले भी कट्‌टरपंथी गतिविधियों में लिप्त था। शारिक 15 अगस्त 2020 को शिवमोगा में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने के आरोप में वॉन्टेड है। स्वतंत्रता दिवस के दिन सावरकर का पोस्टर लगाने पर विवाद हुआ था। इस दौरान 2 लोगों को चाकू घोंप दिया था। वहीं शारिक उर्फ प्रेमराज हुतगी को भगोड़ा घोषित कर दिया गया था।

मंगलुरु के नागुरी बस अड्‌डे पर प्रेमराज हुतगी ने एक ऑटो को हाथ दिया। ड्राइवर पुरुषोत्तम ने प्रेमराज को बिठाया और पंपवेल जंक्शन के लिए चल पड़ा। ऑटो कुछ दूर ही पहुंचा कि तेज धमाका हुआ। आसपास सफेद धुएं का गुबार फैल जाता है। लोग समझे कि ऑटो का टायर फट गया। प्रेमराज का शरीर 40% और ड्राइवर 20% तक झुलस गया।

पुलिस पड़ताल में पता लगा कि धमाका प्रेशर कुकर में हुआ था, जिसे प्रेमराज ले जा रहा था, दरअसल ये एक बम था। अगले दिन कर्नाटक के DGP प्रवीण सूद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह एक आम विस्फोट नहीं। आतंकी हमला था। इसका मकसद बड़ा था।

पुलिस के एक और खुलासे ने चौंका दिया। प्रेमराज असल में प्रेमराज नहीं मोहम्मद शारिक था। यह ISIS यानी सीरिया और इराक में तबाही मचाने वाले इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया से जुड़ा आतंकी है।

अस्पताल में भर्ती प्रेमराज की जेब से मिले आधार कार्ड के पते पर जब पुलिस पहुंची तो पता चला कि आधार कार्ड फर्जी था। शारिक ने जिस प्रेमराज नाम से आधार कार्ड बनवा रखा था, वो रेलवे कर्मचारी है और कर्नाटक के तूमकुर में पोस्टेड है।

उधर असली प्रेमराज का आधार कार्ड पिछले दो साल में दो बार खो चुका था। उसने आधार कार्ड खोने की सूचना पुलिस को नहीं दी थी। उसके पास यूनीक ID थी, जिसके जरिए दूसरा कार्ड प्रिंट करवा लिया।

शारिक ने डेढ़ महीने पहले फर्जी प्रेमराज नाम के आधार कार्ड के सहारे मैसूरु के बाहरी इलाके में एक कमरा किराए पर लिया था। 20 नवंबर 2022 को पुलिस इस कमरे पर रेड डाली। रेड के दौरान कमरे से विस्फोटक बनाने का सामान मिला। इसमें जिलेटिन पाउडर, सर्किट बोर्ड, बैटरी, मोबाइल, लकड़ी का चूरा, एल्यूमीनियम मल्टी मीटर, तार, बोल्ट और प्रेशर कुकर शामिल हैं।

रेड में कमरे से दो और फर्जी आधार कार्ड के साथ एक फर्जी पैन कार्ड और FINO डेबिट कार्ड मिला है। आतंकी शारिक और विस्फोटक बनाने की तैयारी में था। उसने यह घर पिछले महीने किराए पर लिया था। मकान मालिक को उसने बताया था कि वह मोबाइल रिपेयरिंग की ट्रेनिंग लेने के लिए शहर में आया है।

शारिक जिस सिम कार्ड का यूज कर रहा था, उसे कोयंबटूर से खरीदा था। सिम खरीदने के लिए शारिक ने अपने सहयोगी सुरेंद्रन के क्रेडेंशियल्स का उपयोग किया था। तमिलनाडु पुलिस ने सुरेंद्रन को अब हिरासत में ले लिया है। मैसूरु आने से पहले शारिक केरल और तमिलनाडु भी गया था।

26/11 के मुंबई आतंकी हमले की बरसी के एक दिन बाद 27 नवंबर 2020 को शारिक को मंगलुरु में दीवार पर ग्रैफिटी बनाने के आरोप में UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था। शारिक ने ग्रैफिटी में लिखा था, ‘हमें LeT (लश्कर-ए-तैयबा) को बुलाने पर मजबूर न करें। मुंबई पर भी लश्कर-ए-तैयबा के ही आतंकियों ने हमला किया था।

शारिक पर कई लोगों को रेडिकलाइज (कट्टरपंथी बनाया) करने का भी आरोप है। शारिक से प्रभावित 2 लोगों को पुलिस ने 20 नवंबर 2022 को पकड़ा है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन्हें फिलहाल हिरासत में लिया है और पूछताछ की जा रही है।

ISIS आतंकी शारिक हैंडलर्स से कॉन्टैक्ट के लिए डार्क वेब का इस्तेमाल करता था। शारिक कई हैंडलर्स के साथ काम करता था, इनमें से एक ISIS से जुड़ा अल हिंद भी है। शारिक का हैंडलर अराफत अली था, जो 2 मामलों में आरोपी है।

शारिक मुसाविर हुसैन के संपर्क में भी था, जो अल हिंद मॉड्यूल केस में आरोपी है। अब्दुल मतीन ताहा भी शारिक के मेन हैंडलर्स में से एक था। शारिक के साथ 2 से 3 और हैंडलर्स काम कर रहे थे, लेकिन इनकी पहचान नहीं हो पाई है।

दक्षिण भारत में दो महीने में यह दूसरा ब्लास्ट है। दोनों ही ब्लास्ट में ISIS का नाम सामने आया है। मंगलुरु कुकर बम विस्फोट मामले में कोयंबटूर का एंगल भी सामने आया है। 23 अक्टूबर 2022 को तमिलनाडु के संगमेश्वर मंदिर के पास खड़ी एक गाड़ी में ऐसा ही ब्लास्ट हुआ था। उस ब्लास्ट में आरोपी 29 साल के जमेशा मुबीन की मौत हो गई थी। जांच में पता चला कि विस्फोट एक आतंकी साजिश थी। बाद में मुबीन के घर से देसी बम बनाने में इस्तेमाल होने वाले कई कम तीव्रता वाले विस्फोटक बरामद किए गए थे।

कोयंबटूर और मंगलुरु के धमाकों में फर्क सिर्फ इतना है कि कोयंबटूर में ब्लास्ट गैस सिलेंडर से हुआ था और मंगलुरु का ब्लास्ट प्रेशर कुकर में हुआ था, लेकिन एक ही तरह के सर्किट बोर्ड से। दोनों बम बनाने के तरीकों में भी समानता पाई गई है। संगमेश्वर मंदिर के सामने कार ब्लास्ट से कुछ दिन पहले शारिक तमिलनाडु गया था। यानी यह सिर्फ इत्तेफाक नहीं, इससे भी ज्यादा की बात हो सकती है।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या मुबीन और शारिक के बीच कोई लिंक था? दोनों ISIS से कैसे जुड़े? हमारी पुलिस टीमें सिंगनल्लूर छात्रावास से और जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रही हैं। तमिलनाडु जाने पर शारिक यहीं पर रुका था।

शारिक के घर में विस्फोटक बनाने वाला जो सामान मिला है। उससे यह पता चलता है कि शारिक अपने मैसूर स्थित किराए के कमरे में कम तीव्रता वाले घरेलू बम बनाने की प्रैक्टिस कर रहा था। इसके पर्याप्त सबूत मिले हैं कि वह अगले कुछ महीनों में इस तरह के कई छोटे-छोटे बम धमाकों की साजिश रच रहा था।

शनिवार को जो ब्लास्ट हुआ वो कम तीव्रता वाला था। इसमें माचिस की तीलियों या बारूद में इस्तेमाल होने वाले फास्फोरस जैसे विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया था। बम को बहुत खतरनाक तरीके से बनाया गया था। कुकर में जानबूझकर नट और बोल्ट डाले गए थे ताकि ज्यादा नुकसान हो।

आशंका है कि बम गलती से अपने तय स्थान से पहले ही फट गया। माना जा रहा है कि शारिक IED-रिग्ड कुकर बम को पहले बस से मैसूर से मेंगलुरु ले गया और बाद में शनिवार को ऑटो रिक्शा से किसी प्रेयर वाले स्थान पर ले जाने वाला था। यात्रा के चलते घर्षण हुआ होगा, जिससे विस्फोटक सामग्री गर्म हो गई होगी। यही समय से पहले विस्फोट हो जाने की वजह बना होगा।

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