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राष्ट्रपति चुनाव में बंपर जीत तय, रूस में कायम रहेगा ‘पुतिन राज’, मतदान प्रक्रिया पर क्यों उठे सवाल

मॉस्को
रूस में व्लादिमीर पुतिन के एक बार फिर राष्ट्रपति बनने की भूमिका तैयार हो चुकी है। इसके बाद वह अगले छह साल के लिए उनका कार्यकाल बढ़ जाएगा। कहने के लिए तो यहां पर वोट डाले गए, लेकिन आम लोगों के पास कोई वास्तविक विकल्प नहीं था। तीन दिन तक चलने वाला चुनाव शुक्रवार को शुरू हुआ और बहुत ही नियंत्रित माहौल में खत्म हुआ। इस दौरान लोगों को यूक्रेन पर हमले के लिए पुतिन की आलोचना की इजाजत नहीं थी। बता दें कि पुतिन के राजनीतिक दुश्मन एलेक्सी नवलनी की पिछले महीने जेल के अंदर मौत हो चुकी है। वहीं, उनके अन्य आलोचक या तो जेल में हैं या फिर अज्ञातवास में।

क्रेमलिन के करीबी उम्मीदवार
71 साल के पुतिन के सामने तीन ऐसे उम्मीदवार थे, जिन्हें क्रेमलिन का करीबी माना जाता है। इन्हें भी रूसी राष्ट्रपति के 24 साल के शासन या यूक्रेन पर हमले की आलोचना की अनुमति नहीं थी। बता दें कि पुतिन का दावा है कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में वह आगे चल रहे हैं। लेकिन रविवार की सुबह रूस में हुए यूक्रेनी ड्रोन हमलों ने बता दिया कि मॉस्को के लिए हालात बहुत अच्छे भी नहीं हैं। रूसी रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक इन ड्रोन्स की संख्या 35 थी, जिनमें से चार रूस की राजधानी के करीब थे। मॉस्को के मेयर सर्गेई सोब्यानिन ने कहाकि किसी तरह की कैजुअल्टी या नुकसान नहीं हुआ है।

विपक्ष की अपील
उधर विपक्ष ने लोगों से अपील की थी कि पुतिन से नाखुश से लोग विरोध स्वरूप दोपहर में पोल बूथ पर पहुंचें। यह रणनीति नवलनी के सहयोगियों ने बनाई थी और विभिन्न मतदान केंद्रों के पास लोगों की भीड़ की तस्वीरें और वीडियो जारी करते हुए अपनी रणनीति को सफल बताया। हालांकि तात्कालिक रूप से यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि यह भीड़ नवलनी के सहयोगियों के आह्वान पर उमड़ी थी या फिर दोपहर के वक्त वोटरों की संख्या में हुए इजाफे के चलते ऐसा हुआ था। मतदान यूक्रेन के अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों में स्थित 11 टाइम जोन के बूथ पर और ऑनलाइन भी हुआ। रविवार की सुबह तक 60% से अधिक वोटर्स ने मतदान किया था। हालांकि कड़े नियंत्रण के बावजूद कई पोलिंग बूथ पर तोड़फोड़ के मामले सामने आए। सेंट पीटर्सबर्ग में एक महिला को एक मतदान केंद्र के प्रवेश द्वार पर फायरबॉम्ब फेंकने के बाद गिरफ्तार किया गया था। वहीं, देश भर में कई अन्य लोगों को मतपेटियों में हरे एंटीसेप्टिक या स्याही फेंकने के लिए हिरासत में लिया गया था।

 

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