मध्य प्रदेश

रेप के आरोप में गिरफ्तार मिर्ची बाबा की जेल में नई पहचान कैदी नंबर 1949, लक्जरी सुविधाएं जेल में आने के बाद हो गई खत्म …

भोपाल। पिछले चुनाव में कांग्रेस के स्टार प्रचारक रहा मिर्ची बाबा उर्फ स्वामी वैराग्यनंद अब भोपाल की सेंट्रल जेल में कैदी नंबर 1949 बन चुका है। उसे रेप के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। मिर्ची बाबा पर एक महिला ने संतान पैदा करने के लिए पूजा पाठ का झांसा देकर रेप करने का आरोप लगाया है। मिर्ची बाबा ने भोपाल में मिनाल रेसीडेंसी के मकान नंबर- ए 53 डुप्लेक्स को अपना ठिकाना बना रखा था। यह मकान उसने किराए पर ले रखा था। घर पर त्रिपाठी रावत, अंसुल रावत के नाम की नेम प्लेट लगी है। बताया जाता है कि बाबा ने घर पर एक तरह से कब्जा कर रखा था, उसने कई महीनों से उसका किराया नहीं चुकाया था।

200 कैदियों के बीच बैरक में रखे गए मिर्ची बाबा को जेल मैनुअल के मुताबिक 2 चादर, 3 पतले कंबल दिए गए हैं। उसे सामान्य कैदी की तरह जमीन पर ही सोना पड़ेगा। हमेशा लक्जरी सुविधाओं में रहने वाले मिर्ची बाबा के सलाखों के पीछे पहुंचने के बाद सारी अय्याशी खत्म हो चुकी है।

रिपोर्ट दर्ज होने पर जब पुलिस टीम पहुंची तो घर पर ताला लगा हुआ था और बाहरी हिस्से में उसका सामान बिखरा पड़ा था। घर में काम करने वाला स्टाफ भी अब फरार है। केस दर्ज होने की भनक लगते ही बाबा और उसका स्टॉफ फरार हो गया था।

मिर्ची बाबा उर्फ वैराग्यनंद गिरि का असली नाम राकेश दुबे है। उसका छोटा भाई भी संन्यासी है। मिर्ची बाबा मूल रूप से भिंड जिले बिरखड़ी गांव का रहने वाला है। राकेश दुबे की मां बचपन में ही गुजर गई थी। पिता अयोध्या प्रसाद दुबे मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र के मंदिर में पुजारी थे। पुलिस जांच में उसके बारे में कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आईं।

4 भाइयों में तीसरे नंबर का राकेश दुबे ने आइल मिल में काम करते हुए 1997 में अपने हिस्से की 4 बीघा जमीन बेचकर बिजनेस करने के लिए एक ट्रक खरीदा, लेकिन नुकसान होने पर ट्रक बेचकर गुजरात के अहमदाबाद चला गया और एक फैक्टरी में काम करने लगा।

राकेश ने वहां कुछ समय तक काम किया, इसके बाद वह गायब हो गया। वर्ष 2000 में गांव के ही एक ट्रक ड्राइवर को राकेश इंदौर में मिला, लेकिन उसकी पहचान बदल चुकी थी। वह वैराग्यनंद गिरि उर्फ मिर्ची बाबा के रूप में मशहूर हो चुका था। मिर्ची बाबा का छोटा भाई अनिल राजस्थान के धौलपुर में बाबा है। मिर्ची बाबा ग्वालियर के दंदरौआ मंदिर में भी रह चुका है। वहां उसके साथ एक महिला और बच्चा भी रहते थे, बाद में महिला अपने बच्चे के साथ मिर्ची बाबा के पैसे आदि समेट कर भाग गई थी।

2013-14 में एक दिन अचानक वह अपने गांव के नजदीक सौंध गांव में भागवत का आयोजन करने पहुंचा। ये इस क्षेत्र में उसकी पहली भागवत थी। इसके बाद वह भिंड, मुरैना, ग्वालियर में घूम-घूमकर भागवत करने लगा। यहीं से वह कांग्रेस नेताओं के संपर्क में आया और देखते ही देखते बड़े-बड़े नेता उसके भक्त बन गए। मिर्ची बाबा भागवत के अलावा गोशाला भी चलाता है। 2018 के विधानसभा चुनाव के समय वह पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और कमलनाथ से जुड़ गया था। कांग्रेस सत्ता में आई तो उसे राज्यमंत्री का दर्जा मिल गया।

कमलनाथ और दिग्विजय से वह मोबाइल का स्पीकर ऑन कर बात करता था। इसका असर ये हुआ कि भिंड, मुरैना और ग्वालियर के कई कांग्रेसी नेता उसके आगे-पीछे चलने लगे।

2018 में मिर्ची बाबा के पिता का निधन हुआ तो उसने तेरहवीं में 20 हजार से अधिक लोगों को भोज कराया था। इस तेरहवीं कार्यक्रम में प्रदेश सरकार के कई मंत्री और विधायक शामिल हुए थे। लोकसभा चुनाव 2019 में मिर्ची बाबा ने दिग्विजय सिंह को जिताने साधु-संतों की टीम उतार दी थी।

इस दौरान उसने 500 किलो मिर्च का हवन कर सुर्खियां बटोरीं। फिर ये कहते हुए सनसनी फैला दी थी कि दिग्विजय नहीं जीते तो वह जल समाधि ले लेगा। हालांकि, जल समाधि मुद्दे पर उसकी खूब किरकिरी हुई थी।

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