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लंबी नींद से जागे अन्ना हजारे, उद्धव सरकार के विरोध में आए सामने, शराब को लेकर फैसले पर जताया ऐतराज, किसके इशारे पर कर रहे ये सब …

मुंबई। लोकपाल बिल की मांग को लेकर आंदोलन करने व कांगेस सरकार गिराने वाले अन्ना हजारे एक लंबी नींद के बाद एक बार फिर जाग गए हैं। इस बार वे लोकपाल बिल की मांग भाजपा से करने नहीं बल्कि कांग्रेस के सहयोगी दल उद्धव सरकार के विरोध में नींद से जागे हैं। इतने सालों बाद अन्ना के हुंकार भरने से सियासत में यह चर्चा निकल पड़ी है कि आखिर कौन है वो जिसे कौन लोग हैं जिन्हें अन्ना के आंदोलन से फायदा तब मिला था और अबके आंदोलन में ‘फिर’ किस पार्टी को फायदा होगा ?

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने महाराष्ट्र सरकार के सुपरमार्केट में शराब (wine) की बिक्री की अनुमति देने के फैसले का कड़ा विरोध किया है।  उन्होंने ठाकरे सरकार के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। अन्ना हजारे ने ये भी कहा कि सरकार के इस फैसले से लोगों में शराब की तल लगेगी। ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले महाराष्ट्र सरकार ने सुपरमार्केट और वॉक-इन स्टोर्स को ग्राहकों को शराब बेचने की अनुमति दी थी। गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। राज्य सरकार ने कहा कि इस कदम से शराब उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले।

हालांकि सरकार के इस फैसले की कई लोग आलोचना कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने सोमवार को कहा, “सुपरमार्केट में शराब की बिक्री की अनुमति देने का महाराष्ट्र सरकार का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। नशामुक्ति की दिशा में काम करना सरकार का कर्तव्य है, लेकिन मुझे यह देखकर दुख होता है कि यह वित्तीय लाभ के लिए निर्णय ले रही है, जिसके परिणामस्वरूप शराब की लत लगेगी।” वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने सुपरमार्केट में शराब की बिक्री की अनुमति देने के राज्य सरकार के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा, “यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर हम किसानों के हितों की ही देखभाल करना चाहते हैं, तो हमें उनकी फसलों के लिए गारंटीकृत मूल्य देना होगा।”

अन्ना हजारे ने कहा, “एक तरफ राज्य सरकार कह रही है कि किसानों के हित में फैसला लिया गया है। यह भी कहा जाता है कि वाइन शराब नहीं है। ऐसा फैसला इस राज्य को कहां ले जाएगा? यह असली सवाल है। वास्तव में संविधान के अनुसार सरकार का यह कर्तव्य है कि वह लोगों को नशे, नशीली दवाओं और शराब से हतोत्साहित करे और लोगों को प्रचारित और शिक्षित करे। यह देखकर दुख होता है कि सिर्फ आर्थिक लाभ के लिए शराब बेचने के फैसले लिए जा रहे हैं। एक साल में 1000 अरब लीटर शराब बेचने का लक्ष्य रखने वाली सरकार वास्तव में क्या हासिल करेगी? यह असली सवाल है।”

सरकार के इस फैसले पर बढ़ते विवाद के बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने शुक्रवार को कहा था कि सुपरमार्केट और वॉक-इन स्टोर में शराब की बिक्री की अनुमति देने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले से किसानों की आय में वृद्धि होगी। राउत ने ये भी कहा था कि “वाइन शराब नहीं होती है। अगर शराब की बिक्री बढ़ती है, तो इससे किसानों को फायदा होगा। हमने किसानों की आय को दोगुना करने के लिए ऐसा किया है।” राज्य सरकार के फैसले की आलोचना करने के लिए भाजपा पर निशाना साधते हुए राउत ने कहा, “भाजपा केवल विरोध करती है लेकिन किसानों के लिए कुछ नहीं करती है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने सही कहा है। भाजपा ने सार्वजनिक क्षेत्र को बेच दिया है।”

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