छत्तीसगढ़रायपुर

खोखले निकले सरकार के सभी दावे, आजादी के 75 साल बाद भी इस गांव में नहीं पहुंची बिजली, चिमनी और लालटेन के सहारे ग्रामीण…

खैरागढ़. खैरागढ़ जिले के आखिरी छोर पर छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश राज्य की सीमा पर कटेमा नामक गांव बसा है. मैकल पर्वत माला पर बसे और चारों ओर से घने जंगलों से घिरे इस गांव की खैरागढ़ जिला मुख्यालय से दूरी लगभग 60 से 65 किलोमीटर है. कटेमा 30-35 घरों की बस्ती है, जो ग्राम पंचायत लक्षना का आश्रित ग्राम है. ग्राम कटेमा में आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है. यहां के लोग आज भी पारंपरिक रूप से चिमनी और लालटेन जैसे साधनों का उपयोग करते हैं.

सरकारें आती-जाती रहती हैं और नेता जनता को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वादे और दावे करते हैं. अब उन्हीं खोखले दावों की पोल खुलती नजर आ रही है. खैरागढ़ जिले के अंतिम छोर पर बसे ग्राम कटेमा में आजादी के बाद आज भी बिजली पहुंच नहीं पाई है. आज भी ग्रामीण अंधेरे में अपना जीवनयापन करने पर मजबूर है. ऐसे में सवाल उठता है और कब तक इन्हें अंधेरे में रहना होगा. आखिर कब गांव में बिजली पहुंचेगी.

हालांकि, शासन ने गांव में सोलर पैनल से बिजली की व्यवस्था की है, लेकिन घने जंगल की वजह से सूर्य का प्रकाश कम ही पड़ता है और तो और बारिश के समय तो इसकी उपयोगिता हो ही नहीं पाती है. ऐसे में ग्रामीण सोलर पैनल के लगने के बाद भी बिजली की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं.

वहीं कटेमा के ग्रामीणों को सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले राशन को लेने के लिए भी गांव से 17 किलोमीटर दूर अपने ग्राम पंचायत लछना जाना पड़ता है. हालांकि, शासन-प्रशासन ने खैरागढ़ जिले के इस घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र को लेकर अब सकारात्मक पहल की है और गांव में ITBP और जिला पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन के तहत कैंप की स्थापना की जा रही है. कैंप स्थापना के बाद नक्सलियों द्वारा अंतरर्राजीय सीमा लांघना अब कठिन हो जाएगा और क्षेत्र से लाल आतंक का जल्द ही सफाया हो जाएगा. ट्राई जंक्शन पर बने इस कैंप को एंटी नक्सल ऑपरेशन का मिल का पत्थर भी कहा जा सकता है.

तीन राज्यों की सीमा पर बसा गांव कटेमा छत्तीसगढ़ का अंतिम छोर है, जिसे नक्सलियों का mmc जोन भी माना जाता है. ऐसे में इस गांव के ग्रामीणों तक मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाना शासन-प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिसे देखते हुए अब ज़िला पुलिस और आईटीबीपी के द्वारा संयुक्त कैंप स्थापित किया जा रहा है. जिससे क्षेत्र में सुरक्षा एवं शांति का वातावरण निर्मित होगा और विकास कार्य में तेजी आएगी. सुरक्षा कैंप स्थापित किए जाने के कारण अब नक्सल अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार नहीं कर सकेंगे, जिससे शासन की तमाम जन हितैषी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को मिल पाएगा.

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