मध्य प्रदेश

कूनों के बाद अब गांधीसागर अभयारण्य में भी बसाए जाएंगे अफ्रीकी चीते

कैंपा फंड से योजना के लिए 20 करोड़ रुपए हुए स्वीकृत

भोपाल। मध्य प्रदेश में श्योपुर जिले के कूनो अभ्यारण्य में अफ्रीकी चीते बसाए जाने के बाद अब गांधीसागर अभयारण्य में भी चीते बसाए जाएंगे। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा तैयारी की जा रही है। इसी कड़ी में अभयारण्य को तैयार करने के लिए कैंपा फंड से 20 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।

इससे अभयारण्य के तीन तरफ से चैनलिंग फेंसिंग की जाएगी और उसमें अन्य क्षेत्रों से पकडक़र शाकाहारी वन्यप्राणियों को छोड़ा जाएगा। इसमें करीब डेढ़ साल लगेंगे। संभावना जताई जा रही है कि भविष्य में दक्षिण अफ्रीका से लाए जाने वाले चीते गांधीसागर में ही छोड़े जाएंगे। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के अध्ययन के अनुसार चीतों के लिए मध्य प्रदेश में कूनो पालपुर, गांधीसागर और नौरादेही अभयारण्य का जंगल अनुकूल है। कूनो की तुलना में गांधीसागर में ज्यादा मैदानी क्षेत्र है। जिसमें चीते अच्छे से जीवित रहने (सर्वाइव) में सफल होंगे। इसलिए गांधीसागर अभयारण्य को तैयार किया जा रहा है। इसमें एक तरफ गांधी सागर बांध का पानी है, तो तीन तरफ जंगल है। चैनलिंग जाली लगाकर जंगल वाले क्षेत्र को बंद किया जाएगा। इसमें चीतों को लाने से पहले हिरण, नीलगाय, चीतल सहित अन्य वन्यप्राणी छोड़े जाएंगे। अब यह तय किया गया है कि जहां भी शाकाहारी वन्यप्राणियों को पकडऩे की स्थिति बनेगी, उन्हें गांधीसागर में ही छोड़ा जाएगा।

दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी

मंदसौर, नीमच, शाजापुर, छतरपुर, छिंदवाड़ा सहित प्रदेश के 35 जिलों में नीलगाय और काले हिरण फसलों के लिए समस्या बने हुए हैं। किसाल हर साल फसलों के नुकसान का मुद्दा उठाते हैं और विधानसभा में भी हंगामा होता है। इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए वन विभाग 10 साल से प्रयास कर रहा है, पर सफल नहीं हुआ है। अब इसमें दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।

नीलगाय को शिफ्ट करने की तैयारी

चीतों को छोडऩे कूनो पालपुर आए दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञों को हाल ही में शाजापुर का दौरा कराया गया है। उन्होंने समस्या देखी और हेलिकाप्टर की मदद से नीलगाय को खदेडऩे और शिफ्ट करने की रणनीति बनाई है। इसमें हेलिकाप्टर किराए पर लेना पड़ेगा, जबकि पायलट विशेषज्ञों के साथ ही आएगा। इस पर तीन करोड़ रुपये का खर्च संभावित है। वन्यप्राणी मुख्यालय ने शासन को यह प्रस्ताव भेजा है। बता दें कि वर्ष 2014-15 में विभाग ने ऐसा ही प्रयास किया था, पर यहां का पायलट ठीक से नीलगायों को हाका नहीं दे सका। इतना ही नहीं एक नेता हेलिकाप्टर में घूमने की जिद करने लगे, इस कारण आगे के प्रयास रोक दिए गए थे।

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