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सिम्स MBBS के 59 स्टूडेंट्स एग्जाम नहीं दे पाएंगे, शार्ट अटेंडेंस के चलते प्रबंधन ने लिया फैसला, अब बैक एग्जाम में शामिल होंगे छात्र …

बिलासपुर । मेडिकल की पढ़ाई कर डॉक्टर बनकर मरीजों का इलाज करने का सपना देख रहे नए स्टूडेंट्स के लिए निराशाजनक खबर है। बताया जा रहा है कि NEET की काउंसिलिंग और देरी से क्लासेस शुरू होने के कारण एडमिशन लेने वाले मेडिकल स्टूडेंट्स की कक्षाएं पूरी नहीं हो पाई है। ऐसे में फर्स्ट ईयर के लिए 180 में से 59 स्टूडेंट्स का शार्ट अटेंडेंस हो गया है। ऐसे में MBBS फर्स्ट ईयर के 59 छात्र-छात्राओं को संस्थान ने परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी है।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (CIMS) के MBBS फर्स्ट ईयर के 59 स्टूडेंट्स को मेन एग्जाम से वंचित कर दिया गया है। स्टूडेंट्स के क्लास से अनुपस्थित रहने के कारण उनका शार्ट अटेंडेंस हो गया है। ऐसे में मेडिकल एजुकेशन के नए नियम के अनुसार सभी स्टूडेंट्स को 45 दिनों तक रेगुलर क्लास अटेंड करना है। अब इन छात्र-छात्राओं को मजबूरन बैक की परीक्षा देनी पड़ेगी।

दरअसल यह सभी छात्र व छात्राएं अपने विषय की कक्षाओं में महज 15 से 20% उपस्थिति दी है। जबकि, उनके लिए 75% उपस्थिति आवश्यक है। संस्थान प्रबंधन का कहना है कि लेट एडमिशन के बावजूद स्टूडेंट्स के लिए स्पेशल क्लासेस लगाए गए थे। लेकिन, स्टूडेंट्स छुट्‌टी के दिनों में गायब हो जाते थे। यहां तक शनिवार और रविवार को भी क्लास अटेंड नहीं करते थे। यही वजह है कि 59 स्टूडेंट्स को कम उपस्थित के कारण परीक्षा से वंचित होना पड़ेगा।

बताया जा रहा है कि जिन 59 छात्र-छात्राओं को बैठने की अनुमति नहीं मिल पाई है, उनमें से एनाटॉमी विषय के ही 35 स्टूडेंट्स शामिल हैं। इनकी कक्षाएं सामान्यत: सुबह की पाली में लगाई जाती थी, लेकिन अपने कैरियर को लेकर एमबीबीएस के छात्रों ने नींद से समझौता नहीं किया और देर से क्लास अटेंड करने जाते थे। ऐसे में संस्थान ने भी उन्हें सबक सिखाते हुए परीक्षा से वंचित कर दिया है।

सिम्स के डीन डॉ केके सहारे ने बताया कि सभी 59 छात्र-छात्राओं को पहले ही कम उपस्थिति होने की चेतावनी दी गई थी। इसके बावजूद उनके लिए एक्स्ट्रा क्लासेस भी लगाई गई। फिर भी उनका शार्ट अटेंडेंस हो गया है। लिहाजा, उन्हें एग्जाम से वंचित कर दिया गया है। 45 दिन बाद बैक एग्जाम होगा, जिसमें उन्हें शामिल किया जाएगा। इसमें भी शार्ट अटेंडेंस होने पर उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

बताया जा रहा है कि 75% से कम उपस्थिति और एग्जाम से वंचित होने पर स्टूडेंट्स ने अपने पैरेंट्स को इसकी जानकारी दी थी। अपने बच्चों को एग्जाम में शामिल नहीं करने की जानकारी होने पर पैरेंट्स रायपुर में मेडिकल एजुकेशन के डायरेक्टर (DME) से भी मिले थे और एग्जाम में शामिल करने का दबाव बनाया था। लेकिन, शॉर्ट अटेंडेंस के कारण उनकी सुनवाई नहीं हुई।

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