लेखक की कलम से

तुम समझ लेना…

इतना तुम मेरे बातों को समझ लेना।

मेरे वादों की गूंज तुम  समझ   लेना।

इतना तुम याद आते  हो  मुझे   सनम

मेरे यादों की झंकार को समझ लेना।

 

पायल मेरी तुम्हें बुलाए

कंगना मेरी तुम्हें बुलाए

अब आ जाओ मेरे सनम

मेरे इशारों को समझ लेना।

इतना तुम मेरे बातों को समझ लेना।

 

 

दर्द को मै कितना सहूं

अब किसको मैं क्या कहूँ

कोई नहीं मुझको समझता

मेरे अश्क़ को तुम समझ लेना

इतना तुम मेरे बातों को समझ लेना।

 

-अर्पणा दुबे, अनूपपुर

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