लेखक की कलम से

आप सूर्य हम किरणें आपकी …

 

 

“निष्कपट व्यवहार –

निर्मल निश्छल प्यार ,

जैसे कोई अभेद् सी दीवार –

जो है सम्पूर्ण सुरक्षा का सार ।।

 

तपती गर्मियों को –

बगैर पंखे के गुजारते देखा ,

पूरी शिद्दत से हम बच्चों के लिये –

जीवन के साधन जुटाते देखा ।।

 

न जाने कितना अपने कांधों –

पर उठाते देखा ,

हर बार हमने आपको अपना –

सर्वस्व लुटाते देखा ।।

 

शब्द कहां से लाऊँ –

भावनाओं को व्यक्त कैसे कर पाऊँ ,

‘पापा ‘ सीमाओं के पार तक –

मेहनत का पसीना बहाते देखा ।।

 

अपनी परवाह किये बगैर –

बस काम में जुटे देखा ,

गल्तियां क्यों निकालें –

मोर्चे पर आपको बस डटे देखा ।।

 

समस्यायें तो बे-हिसाब थीं पर -आपको हारते कभी नहीं देखा ,

एक समर्पित भाव से आपको –

खुद को मिटाते देखा ।।

 

हाँ पापा हमने आपको –

अपना सर्वस्व लुटाते देखा ,

हर वक्त बस जीवन का –

सामान जुटाते देखा ।।

 

आपके दोनों कांधों पर –

अपने भाई संग बैठ ,

भीड़ में सबसे ऊपर उठ –

राम की बारात को जाते देखा ।।

 

रोज सुबह नहा-धोकर –

आपकी पालथी में बैठ कर –

हृदय में भक्ति को बोना सीखा –

हाँ पापा आपसे हमने –

जीवन को जीना सीखा ।।

 

कर्तव्यों के निर्वाहन में –

आपमें राम को जागृत होते देखा ,

आने की महज आहट में ही –

अनुशासन को सजते देखा ।।

 

बेफिक्री से समस्याओं को थामते देखा-

हालात कैसे भी हों हमने ,

वनवास में राम की तरह –

आपको शिद्दत से मुश्कराते देखा ।।

 

गल्तियां मर्यादापुरुषोत्तम से हो गई-

दाग तो चाँद में भी नजर आ जाता है,

सम्पूर्ण सिर्फ परमात्मा होता है –

मेरे लिये सोलह कला सम्पन् हमारे पिता हैं आप ।।

 

 

अगर आँसू कभी आँखों में –

छलकें जो आपके ,

तो सुख के हों , खुशियों के हों –

गर्व के हों ,उत्सव के हों …….।।

 

आपके भीतर जागृत राम –

आपके व्यक्तित्व में झलकते हैं ,

आपकी सन्तुलित दिनचर्या के –

हर कर्म में महकते ह़ै ।।

 

आपके आशीष में –

परमात्मिक तासीर है ,

आपकी जिन्दगी साक्षात –

एक नजीर है ।।

 

आपके हाथ –

सुरक्षा का छत्र हैं ,

स्वंय परमात्मा द्वारा लिखा हुआ-

जैसे सुगन्धित कोई पत्र हैं ।।

 

शायद पिछले जन्मों का ये –

कोई पुण्य प्रताप है ,

कि आपके जैसे पिता का मेरे –

सिर पर रक्खा हाथ है ।।

 

खींच कर गड्ढों से जिन्दगी को –

आसमां पर सजाते देखा ,

हराकर मुश्किलों को –

चमत्कार सा झिलमिलाते देखा ।।

 

सुगमता से चले जीवन –

अब न कोई व्यवधान मिले ,

आये कोई समस्या अगर तो –

तुरंत उसका समाधान मिले ।।

 

आप सूर्य हम किरणें हैं आपकी –

आप वृक्ष हम शाखा हैं आपकी ,

मेरे हर विचार में थाप है आपकी –

मेरे व्यक्तित्व में निखरती सी आभा है आपकी ।।

 

आप सूर्य हम किरणें हैं आपकी –

आप वृक्ष हम शाखा हैं आपकी …।।

 

©भावना सिंह, लखनऊ, यूपी                                           

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