लखनऊ/उत्तरप्रदेश

यमुना खतरे के निशान से बह रही है ऊपर, निचले इलाकों में रहने वाले लोग परेशान; खुले आसमान के नीचे बिताई रात …

नई दिल्ली। दिल्ली में यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। ऐसे में शास्त्री पार्क से लेकर यमुना खादर तक निचले इलाकों में रहने वाले सैकड़ों परिवारों परेशान हैं। बाढ़ नियंत्रण कक्ष में तैनात अधिकारियों के अनुसार शहर में बाढ़ की स्थिति का आकलन करने के लिए बेंचमार्क माने जाने वाले पुराने लोहे के पुल का जलस्तर शनिवार शाम सात बजे 205.92 मीटर था। दोपहर तीन बजे जलस्तर 205.99 मीटर था जिसमें शाम को 6 बजे 205.95 मामूली गिरावट आई। दिल्ली में रेलवे पुल पर 204.5 मीटर जल स्तर को चेतावनी चिह्न, जबकि 205.33 मीटर को खतरे का निशान माना जाता है।

शनिवार का दिन उन्होंने घुटने तक भरे पानी में गुजारा। यहां रहने वाले लोगों का दिन अपनी झोपड़ियों को खाली करने, ऊंचाई वाले क्षेत्रों या सरकारी आश्रयों में जाने में बीता। इसके अलावा कुछ लोग पुरानी दिल्ली के पास यमुना बाजार जैसे क्षेत्रों में रुके हुए थे।

मयूर विहार के पास बाढ़ग्रस्त इलाके में रहने वाली 30 वर्षीय इंदुवती ने कहा कि उसने और उसके परिवार ने शनिवार की सुबह अपनी झोपड़ी खाली करना शुरू कर दिया क्योंकि इलाके में पानी भर गया था। शहर के इस हिस्से में कोई सरकारी तंबू नहीं होने के कारण उनके और उनके परिवार के पास सर्विस रोड पर रहने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है।

इंदुवती ने कहा, ‘आज सुबह जब पानी हमारे खेतों में घुसने लगा तो हम बाहर निकलने लगे। हमने हाथगाड़ी में जो कुछ भी रख सकते थे उसे लोड किया और सुबह से ऐसी कई अनगिनत ट्रिप की हैं। जलस्तर बढ़ने से हम चौकन्ने हो गए थे लेकिन बाढ़ की उम्मीद नहीं की थी। पिछली बार 2010 में हमने इस तरह की स्थिति का सामना किया था।’ उनके परिवार में पांच सदस्य हैं जिसमें एक बकरी और दो बच्चे शामिल हैं। इन सभी ने खुले आसमान के नीचे रात बिताई।

उन्होंने कहा कि पिछली बार के विपरीत, निवासियों को कम से कम कुछ दिन पहले बाढ़ के बारे में सतर्क किया जाता था, वहीं इस बार उन्हें कोई सूचना नहीं मिली। कुछ दूरी पर, उत्तर प्रदेश के बदायूं के मूल निवासी राम चरण अपने घर से दूर एक ओवरलोड मोटर गाड़ी लेकर जा रहे थे। उनका बेटा शिव सामान के ऊपर बैठा था। 34 साल के रामचरण ने कहा, ‘हम परिवार में सात सदस्य हैं। जब तक पानी कम नहीं होगा, हमें खुले में रहना होगा। पानी ने हमारी झोंपड़ियों को भी नष्ट कर दिया है इसलिए हमें एक बार फिर से आश्रय बनाना होगा।’ शिव, जो पड़ोस के सरकारी स्कूल में पढ़ता है, ने कहा कि बाढ़ की वजह से वह और कई अन्य बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।

Back to top button