नई दिल्ली

कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए बन जाएगी काल? जानें नरेंद्र मोदी सरकार ने और क्या कहा ….

नई दिल्ली (पंकज यादव) । देश में कोरोना लहर की तीसरी लहर की आशंका और उसमें बच्चों के सर्वाधिक प्रभावित होने की अटकलों के बीच केंद्र सरकार ने कहा कि बच्चों में कोरोना संक्रमण का प्रभाव न्यूनतम देखा गया है। मृत्यु दर भी न्यूनतम है लेकिन वे संक्रमण फैला सकते हैं। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि बच्चे कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित नहीं हैं। उनमें संक्रमण हो सकता है लेकिन यदि वे कोरोना से संक्रमित होते हैं, तो उनमें से अधिकांश में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं या बहुत हल्के लक्षण होते हैं। बहुत कम मामलों में बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है। ड़ॉ. पॉल ने कहा कि मौजूदा समय में अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों में बच्चों की संख्या तीन-चार फीसदी से ज्यादा नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों पर कोरोना प्रभाव न्यूनतम होने के बावजूद वह कोरोना फैला सकते हैं।

एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर अभी कोई फैसला विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से नहीं लिया गया है। अभी तक महज चर्चा चली है। जब भी ऐसा कोई निर्णय लिया जाएगा, सरकार भी उसी अनुरूप कदम बढ़ाएगी। उन्होंने इन अटकलों को खारिज किया कि वैक्सीन पासपोर्ट में कोविशील्ड टीके को मान्यता दी गई है और कोवैक्सीन को नहीं।

एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. पाल ने कहा कि कोरोना टीकाकरण में दो अलग-अलग टीकों की खुराक फायदेमंद हो सकती हैं। उनसे स्पेन में हुए ताजा अध्ययन के बारे में सवाल पूछा गया था। उन्होंने कहा कि यह वैज्ञानिक रूप से संभव है लेकिन अभी और वैज्ञानिक तथ्यों का सामने आना जरूरी है।

अग्रवाल ने कहा कि ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या को लेकर राज्यों से आंकड़े मांगने शुरू कर दिए गए हैं। अगले कुछ दिनों में सही आंकड़े सामने आने शुरू हो जाएंगे। हालांकि गैर सरकारी सूत्रों से करीब सात हजार मरीजों के संक्रमित होने की खबरें आ रही हैं।

अग्रवाल ने कहा कि 10 मई को कोरोना की संक्रमण दर 24.83 फीसदी थी जो 22 मई को 12.45 फीसदी रही है। इसमें 12 दिनों में पचास फीसदी की कमी हुई है। उन्होंने कहा कि 18 राज्यों में यह दर अभी भी 15 फीसदी से ज्यादा है। जबकि 380 जिलों में यह 10 फीसदी से ज्यादा है।

अग्रवाल ने कहा की टीकों की बर्बादी घट रही है। कोविशील्ड टीके की बर्बादी एक मार्च को 8 फीसदी थी जो अब घटकर एक फीसदी रह गई है। जबकि कोवैक्सीन की 28 फीसदी सेघटकर 4 फीसदी रह गई है। हमने राज्यों से इसे शून्य के स्तर पर लाने को कहा है।

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