लेखक की कलम से

क्यों न सर्दी की धूप सेक ले…

आज मौसम ज्यादा ही सर्द है,

यह दिसंबर के जाड़े की ठंड हैं,

चलो बैठे सब साथ में मिलकर,

क्यों न सर्दी की धूप को सेंक ले।

 

आज छत पे थोड़ी बहुत धूप है,

तार पे कपड़े भी आज खूब है,

चलो हम सब जल्दी से नहाकर,

क्यों न सब थोड़ी सी गर्मी ले लें।

 

आज अम्मा को भी ठंड लगी है,

उनके घुटने में भी कुछ दर्द है,

चलो तेल गरम लहसुन मिलाकर,

क्यों न घुटनों पे उनके लगा लें।

 

आज तो पापा भी छुट्टी पर हैं,

मम्मी भी ज्यादा ही खुश हैं,

चलो दिन भी बिताये खिलखिलाकर

क्यों न थोड़ी हँसी मजाक कर लें।

 

आज खाना कुछ ज्यादा गरम है,

मक्के की रोटी साग संग हैं,

चलो जी दाल में घी को मिलाकर,

क्यों न रोटी मे चटनी लगा ले।

-झरना माथुर

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