लेखक की कलम से

आखिर क्यों किया तुमने ऐसा …

क्यों किया तुमने ऐसा देखो जरा गौर से तुम जिंदा थे तो तुम्हारे दुश्मन तुम्हारी रूकावट बने थे, अब तुम्हारी मौत ने तुम्हारे दोस्तों की कमाई चार गुना ज्यादा कर दिया तुम्हारे मौत के आढ़ मे आगे निकलने की कोशिश करते जा रहे है।

इस दुनियां मे कौन डिप्रेशन मे नहीं है हर दुसरा शख्स दिमागी तौर पर बिमार है।

तुम्हारे पास किसी भी चीज की कमी तो नहीं थी दौलत, शोहरत सारी चीजे तो हासिल थी, सुख सुविधा शुमार थी। तुमने जरा भी नहीं गौर नहीं किया जिसके पास दो वक्त की रोटी नसीब नहीं वो पुरी जिंदगी सिर्फ पेट पालने के लिए दुनियां की परेशानी और मुश्किलो का सामना करते करते पुरी जिंदगी बिता देता है फिर भी आखरी सांस तक हार नहीं मानता। क्या तुम्हारे जेहन मे वो परेशान बेबस इंसान बन्दे एक पल भी याद नहीं आए। अगर जरा भी तुम याद किए होते तो यूं ही इतना बड़ा कदम नहीं उडाते। तुम्हारी खुदगर्जी ने ऐसा करने पर मजबूर किया।

तुम अंजान तो नहीं थे इस दुनियां मे हर जगह कॉम्पिटिशन है। यहा छोटा सा व्यपारी भी परेशानी से जूझ रहा है जो शख्स दो वक्त की रोटी के लिए छोटा सा व्यवसाय करता है, उसे भी हराने के लिए बड़े पैमाने वाले खड़े हो जाते है पर वो हार नहीं मानता अपनी मेहनत करते जाता है और शब्र कर के आगे बढ़ने का वक्त का इंतजार करता है।

क्योंकि वह जानता है यही दुनियां का रित है,  पर तुमने तो बुजदिली वाली काम कर दिया। तुम्हे आगे बढ़ने की लालसा ने तुम्हें इतना अंधा बना डाला कि तुम्हे यहा तक दिखाई नहीं दिया तुम्हारे परिवार के ऊपर क्या गुजरेगी कम से कम तुम्हारे पास बेशुमार चाहने वाला परिवार था। औरो के पास तो अपना कोई भी नहीं होता। वो कैसे जीते है।

पर अफसोस तुम्हे आगे बढ़ने की तमन्ना ने तुम्हें खुदगर्ज बना डाला। दुसरों के मुताबिक तुम्हारे पास बहुत इल्म थी, काफी तेज तर्रार थे बहुत चिजों से खुदा ने नवाजा था तुमको चाहते तो अपने दिमाग से सोच सकते थे और खुद बा खुद रास्ता निकाल सकते थे।पर तुमने हार मान ली। थोड़ा वक्त का इंतजार कर लेते सब कुछ ठीक हो जाता। क्या तुम को खुद के ऊपर भरोसा नहीं था?  क्या तुम ऊपरवाले के ऊपर भरोसा नहीं करते थे?  न जाने कितने सवाल छोड़कर चले गए।

चलो कोई बात नहीं पर क्या तुम्हे जरा भी अपने पिता की याद नहीं आइ बुढा बाप अपने जवान बेटे की लाश को कैसे कंथा देगा क्या बितेगी उस पर उन्हें भी रोता बिलखता छोड़कर चले गए। तुम ही देख लो जरा इस दुनियां मे जब तुम जिंदा थे तब तुम्हारी किसी को याद नहीं आई, चले क्या गए तुम्हारी मौत का मुद्दा बना के अपनी निजी जिंदगी का खुन्नस निकाल रहे है।  तुम्हारी मौत के जरिए जैसे सभी अपना व्यवसाय कर रहे है। ये सिर्फ तुम्हारी गलतीयों के वजह से आज कितनो का दिल तोड़ कर चले गए  ऐसा तुम्हे नहीं करना था।

क्या तुम्हें इतना भी इल्म नहीं था जान कितनी बेशकीमती है कौन शख्स है इस दुनियां मे जिसकी जिंदगी आसान है सभी मुश्किलो मे होते है पर इसका ये मतलब तो नहीं हम अपनी जान दे दे।

कुछ कहो तुम ने ये अच्छा नहीं किया। तुम ने इस देश के जवानो को मुश्किलो मे मरने की सिख दे कर चले गए।

ऊपर से तुम्हारी मौत के आड़े समाज मे क्रांति ही क्रांति फैला रहे है। यहा तो मौत हो या जिंदगी सब मे खेल खेलते है हमारे देश प्रेमी सिर्फ एक चिंगारी चाहिए उसे हवा देने के लिए मौजूद है क्रांतिकारी।

 

तुम्हारी मौत ने ये क्या कर दिया।

निकम्मों को बे वजह यूं ही रोजगार मिल गया।।

©तबस्सुम परवीन, अम्बिकापुर, छत्तीसगढ़

Back to top button