स्वागत पूस महीना…
ऐलो पुसवा के महीनमा रामा सले-सले।
लगे लगलो जड़बा बतास रामा हौले-हौले।
खइहा नउका चाउर के पीठवा रामा गरमे-गरमे।
पीठबे सेकयतय रामा बउआ के गोड़े-गोड़े।
आदिया आउ गुड़बा किनयलय रामा घरे-घरे।
हरदी मिलाई के हलुआ बनाबय रामा करे-करे।
चूड़वा जे धमकय रामा हरियरका घरे-घरे।
दहिया लपेटी सब खयिथिन रामा छीपे-छीपे।
तीलीया कटाई काटी लड़ुआ बनैली रामा कारे।कारे।
सेहो लड़ुआ पेठैनु रामा धीआ दामाद के घरे-घरे।
बूटबा खेसड़िया के सगबा गलैबय रामा हरे-हरे।
भतबा पकइबय बउआ के खिलइबय रामा गरे।गरे।
गौना के कनियैया घुघबे में नुक्कल रामा लाजे-लाजे।
दुलहबा के दिनमा बितहय रामा राजे-राजे।
नौका नेहलिया तोसकबा अइलय रामा जोड़े-जोड़े।
कनिया दुलहबा करहय झिकझोरिया रामा संगे-संगे।
पूस के दिनमा फूस होइ गेलय रामा ————_—–?
बुढ़बा बुतरूआ बचाइ के रखिह रामा जाड़े-जाड़े।
लिखताहर – ©लता प्रासर, पटना, बिहार