झूठा था केजरीवाल-सिसोदिया का वो दावा? कश्मीरी प्रवासी पंडित शिक्षकों ने बताई नौकरी नियमित करने की पूरी सच्चाई …
नई दिल्ली। ‘द कश्मीर फाइल्स’ को दिल्ली में टैक्स फ्री करने को लेकर छिड़े विवाद के बीच कश्मीरी प्रवासी शिक्षकों (कश्मीरी पंडितों) ने अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के उस दावे को खारिज कर दिया कि दिल्ली सरकार ने उन्हें नियमित किया था।
सरकारी स्कूल शिक्षक संघ (प्रवासी) ने सोमवार को कश्मीरी पंडित शिक्षकों को नियमित करने के दिल्ली सरकार के दावों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें अदालत के हस्तक्षेप के बाद स्थायी नौकरी दी गई है।
दिल्ली विधानसभा में बोलते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि 233 कश्मीरी प्रवासी शिक्षक दिल्ली में वर्षों से नियमित होने के लिए संघर्ष कर रहे थे। वे कॉन्ट्रैक्ट पर कार्यरत थे। उन्हें रातोंरात हटा दिया गया था, उनके पास प्रमाण पत्र लेने का समय नहीं था। इन कश्मीरी शिक्षकों को प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करने पर बर्खास्त करने की धमकी दी गई थी। यह सीएम अरविंद केजरीवाल थे, जिन्होंने उनका समर्थन करने और जॉब नियमित करने का फैसला किया था।
सिसोदिया ने कहा कि वह (केजरीवाल) समझ गए थे कि उनके (प्रवासियों) घावों को ठीक करना पूरे देश की जिम्मेदारी है। हालांकि, सरकारी स्कूल शिक्षक (प्रवासी) संघ ने मनीष सिसोदिया के इस बयान को खारिज कर दिया।
उनके नियमितीकरण की घटनाओं के बारे में बात करते हुए शिक्षक संघ ने कहा कि 2010 में कश्मीरी प्रवासी शिक्षकों ने इस मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पांच साल बाद, 2015 में, हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने कश्मीरी प्रवासी शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसे बाद में दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट की डबल बेंच में चुनौती दी, जिसने उन्हें नियमित करने का भी निर्देश दिया।
सरकार ने मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन शीर्ष अदालत ने भी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और निर्देश दिया कि शिक्षकों को नियमित किया जाए। इसके बाद जनवरी 2019 में दिल्ली सरकार द्वारा नियमित किया गया था।
शिक्षक संघ ने कहा कि इन घटनाओं से संकेत मिलता है कि दिल्ली सरकार को कश्मीरी प्रवासी शिक्षकों की सेवाओं में कभी दिलचस्पी नहीं थी। वास्तव में, दिल्ली सरकार ने अंत तक नियमितीकरण का विरोध किया।