लेखक की कलम से

रेलगाड़ी ….

 

 

छुक छुक रेल चली

हर जगह रेल चली

 

जब भी कहीं जाना है

रेलगाड़ी बैठ जाना

 

रेल चली रेल चली

सबसे तेज चली

सबसे टकराते चली

छुक छुक रेल चली

 

मनोरजन इसमें होते

अच्छे और सच्चे मिलते

मन इसमें नहीं घबराता

इसमें आराम मिलता

 

दूर के सफऱ के लिए बढ़िया होता रेलगाड़ी

सब उसमें छोटे बड़े करते है सवारी।।।।।।।।

 

 

©अर्पणा दुबे, अनूपपुर                   

Back to top button