कल नई सुबह तो होनी है …
“आया है जो काल आज-
वो त्रिकाल में –
काला काल कहलायेगा ,
सवाल भविष्य में भी-
इस भूत के –
ये बारम्बार उठायेगा …….।।
अतीत के कलुषित कारनामों पर –
हर विचार विचारणीय होगा ,
जो काम आज किये मानव ने ,
वो फिर कभी भी न दोहराये जायें –
बस यही कथन अनुकरणीय होगा …।।
किसने सोचा था एक नन्हा जीवाणु-
एक परमाणु बम से भी ज्यादा ,
विस्फोटक गाज़ गिरायेगा –
बड़ी खामोशी से एक एक जीवन –
बस मुश्कराकर निगलता जायेगा….।।
किसने सोचा था कि जीवन में –
कभी ऐसा वक्त भी आ जायेगा ,
एक इंसान ही दूसरे इंसान से –
मिलने से ही घबरायेगा ….।।
पाप में डूबी धरती की धरा –
आज भय से डगमगाई है ,
अश्रु में भीगी पलकें सारी –
हर आँख विस्मय से डबडबाई है..।।
फेफड़ो पर हो रहा वार –
आखीर कौन मानव जाति का –
कर रहा है संहार,
प्राणवायु से प्राण बचे –
जीव बने चिरंजीव ,
श्वास है तो आस है
श्वास ही जीवन आधार ….।।
चारों ओर मचा हाहाकार –
हर प्राण कर रहा चीत्कार ,
हर घड़ी बन गई कठिन बड़ी –
मौत कर रही है तांडव –
और जिंदगी है सहमी सी खड़ी…।।
पर रात कितनी भी काली क्यों न हो-
अन्ततः सुबह तो होनी है ,
इन अंधियारी रातों में ही मिलकर-
पौध उम्मीदों की बोनीं हैं …..।।
थम जायेंगें आसूँ भी थक कर-
लबों पर मीठी मुश्कान तो सजनी है,
कब हारा है मानव हार कर भी –
आखीर फिर जीत सत्य की होनी है..।।
आज घट रही हैं घटनायें –
हर ओर हो रही अनहोनी है ,
आज दर्द में करहाती धरती –
कल नई सुबह तो होनी है..।।
चाहे कितना भी कठिन समय हो-
पर हिम्मत हमें नहीं खोनी है ,
घोर परीक्षा काल के-
हर सवाल की जंजीर मिलकर –
हमको तोड़नी है…..।।
घोर तपिश से तपती धरती की –
घायल थकी सी छाती में ,
नये बीज बयार के बोकर –
स्नेह से फिर सुनहरी –
वसुधा सजोनी है…….।।
अपनी प्यारी धरती माता की –
वो रौनक वापिस लानी है ,
आज अपनी पूरी ताकत से –
हर जिंदगी बचानी है ….।।
हारे थके से इस मौसम में –
खुशियों की फुहार बरसानी है ,
आज मानव को अपनी मेहनत से
ये मानव जाति बचानी है ……।।
हर पाप का प्रायश्चित करके –
पुनः पवन पुण्य की पानी है ,
हर संताप का ताप मिटा कर –
फिर लौटानी –
वो जीवन भरी रवानी है।।
रात कितनी भी काली क्यों न हो-
अंततः सुबह तो होनी है ,
इन अंधियारी रातों में ही मिलकर –
पौध उम्मीदों की बोनीं है ………।।
थम जायेंगे आँसू भी थक कर –
लबों पर मीठी मुश्कान तो सजनी है ,
कब हारा है मानव हार कर भी –
आखीर फिर जीत सत्य की होनी है ।।
आज घट रहीं हैं घटनायें –
हर ओर हो रही अनहोनी है ,
आज दर्द में कराहती धरती –
कल नई सुबह तो होनी है –
कल नई सुबह तो होनी है …।।”
©भावना सिंह, लखनऊ, यूपी