लेखक की कलम से
कब तक …
कब तक इस मन को
समझाऊं
कब तक मन के दर्द
छुपाऊँ
टीस बहुत है किसे
बताऊं
दर्द बहुत है किसे
दिखाऊं
किससे मैं मरहम
लगवाऊं
नेह प्रेम स्वप्नों की
कश्ती
मंझधार फंसी मैं किसे
बुलाऊँ❤️
©क्षमा द्विवेदी, प्रयागराज