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टेरिटोरियल फाइट में बाघ की मौत, समय रहते रेस्क्यू होता तो शायद बच सकती थी जान, वन विभाग की लापरवाही आई सामने….

रायसेन । सरकार बाघ की सुरक्षा और उसे महफूज रखने लाखों करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन ओबेदुल्लागंज डीएफओ की लापरवाही के कारण 3 साल के बाघ की मौत हो गई। हालांकि यह पहली बार नहीं है,  इससे पहले भी यहां बाघ की मौत के मामले सामने आ चुके हैं। 

टाइगर स्टेट का दर्जा पाने के लिए बाघ संरक्षण पर करोड़ों रुपए खर्च करने के दावे के बाद भी जंगल में बाघ सुरक्षित नहीं है। रायसेन जिले के रातापानी अभयारण्य में एक बार फिर एक बाघ की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि दाहोद रेंज में पांच दिनों से घायल 3 साल के बाघ की मौत हुई है। वन विभाग की टीम ने बाघ के शव को रेस्क्यू कर लिया है।

मिली जानकारी के अनुसार आज सुबह ही बाघ पहाड़ी से नीचे आया था। वनाधिकारी सुनील भारद्वाज के अनुसार टेरिटोरियल फाइट में यह बाघ घायल हुआ था। बाघ के दायें पैर के अगले हिस्से में काफी गंभीर चोट आई थी।

बाघ के शव को वन विहार की टीम पोस्टमार्टम के लिए भोपाल ले गई है। इसमें कहीं न कहीं वन विभाग की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। अगर समय रहते बाघ का रेस्क्यू कर लिया जाता, तो शायद उसकी जान बच सकती थी।

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