नई दिल्ली

ये हैं अंदर की बात है : इन 3 वाकयों से सुनील जाखड़ का कांग्रेस से होता गया मोहभंग …

नई दिल्ली। पहले अचानक अध्यक्ष पद गंवाया, फिर सारी जिम्मेदारियों से भी हटाए गए और अब कांग्रेस से इस्तीफा देने के कुछ दिन बाद ही सुनील जाखड़ ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। शनिवार को पार्टी को ‘गुडबाय’ कह चुके जाखड़ लंबे समय से अपने ही दल में कथित परेशानियों का सामना कर रहे थे। अगर पंजाब कांग्रेस के बीते एक साल का दौर देखें, तो संकेत मिलते हैं कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के लिए मुश्किलों का दौर नवजोत सिंह सिद्धू की सक्रियता से ही हो गया था। तब सिद्धू और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीत तनाव जारी था। विस्तार से समझते हैं…

बीते साल पंजाब विधानसभा चुनाव से करीब 8 महीने पहले सिद्धू और कैप्टन के बीच तनातनी का दौर शुरू हो गया था। दोनों नेता एक-दूसरे पर लगातार आरोप लगा रहे थे। कहा गया कि इस तनाव को शांत करने के लिए पार्टी ने रास्ता निकाला और पुर्व क्रिकेटर को पंजाब कांग्रेस की कमान दे दी। उस दौरान पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ही थे। पार्टी ने उन्हें पद से हटाकर सिद्धू को चीफ बना दिया। हालांकि, जाखड़ ने तब सिद्धू को सक्षम व्यक्ति बताया था। वहीं, सिद्धू भी उन्हें बड़ा भाई कह रहे थे।

दोनों बड़े नेताओं के बीच जारी सियासी जंग में कैप्टन को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। इसके बाद राज्य में नए सीएम को लेकर चर्चाएं तेज हो गई थी। तब सिद्धू, जाखड़, अंबिका सोनी समेत कई नाम सामने आए थे, लेकिन पार्टी ने दलित चेहरे चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बना दिया। इसके बाद कई मौकों पर जाखड़ ने चन्नी के शासन पर सवाल उठाए और आड़े हाथ लिया।

हालांकि, इस दौरान उन्होंने सबसे ज्यादा निशाना वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी पर लगाया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वह लगातार उन्हें सीएम नहीं बनने देने का जिम्मेदार मानते रहे। तब सोनी ने सुझाव दिया था कि पार्टी को सीएम के लिए सिख चेहरे के साथ जाना चाहिए। तब जाखड़ ने आरोप लगाए थे कि जो नेता हिंदू बनाम सिख का मुद्दा बने रहे हैं उन्हें पंजाब के लोगों से माफी मांगनी चाहिए।

अप्रैल में कांग्रेस ने जाखड़ के खिलाफ ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के आरोपों को लेकर सख्त कार्रवाई की गई और उन्हें सभी पदों से हटा दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जाखड़ को पदों से हटाने के अलावा दो साल के निलंबन की भी मांग की गई थी। हालांकि, अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी इसके पक्ष में नहीं रहीं।

खबर है कि पंजाब चुनाव की संध्या पर जाखड़ की टिप्पणी को लेकर शिकायत हुई थी। उन्होंने कहा था कि ‘उन्हें पंजाब के मुख्यमंत्री की रेस में कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाए जाने के बाद सबसे ज्यादा 42 विधायकों के वोट मिले थे। सुखजिंदर रंधावा को 15, कांग्रेस की पसंद चरणजीत सिंह चन्नी को 2 वोट, नवजोत सिंह सिद्धू को 6 और प्रिनीत कौर को 12 वोट मिले थे।’ कांग्रेस का मानना है कि इस टिप्पणी ने हिंदू मतदाताओं को अलग-थलग कर दिया था।

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