रायपुर । छत्तीसगढ़ में पुलिस परिवारों का आक्रोश फिर भड़क गया है। पुलिस परिवार के लोगों ने राजधानी रायपुर में मुंबई-हावड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया है। हाईवे के रिंगरोड नंबर-1 पर पुलिस कर्मियों के परिजन बैठ गए हैं, जिससे दोनो ओर वाहनों की लंबी लाइन लग गई। भीड़ को हटाने पुलिस बल भी पहुंची, जिससे पुलिस कर्मियों का आक्रोश भड़क गया है।
प्रदर्शन में छोटे बच्चे, महिला व पुरुष सदस्य भी शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए आंदोलन का नेतृत्व करने वाले उज्ज्वल को गिरफ्तार करने की बात कही है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पुलिस परिवार चर्चा करने रायपुर आए थे। इधर रविवार को सीएम भूपेश बघेल ने सहायक आरक्षकों को आरक्षक पदोन्नत करने के संबंध में प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजने पुलिस मुख्यालय को निर्देश दिए हैं।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पुलिस परिवार के सदस्य उज्ज्वल दीवान को क्यों गिरफ्तार किया गया है। उनका कहना था कि पिछले महीने सरकार ने सहायक आरक्षकों की मांगों को एक महीने में पूरा करने की बात कही थी। एक माह का समय गुजर जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पुलिस परिवार गुलामी का जीवन जी रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि मांगों पर चर्चा करने सम्मेलन किया जा रहा था, इसकी विधिवत अनुमति भी ली गई थी, लेकिन सरकार के इशारे पर उज्जवल को रात में गिरफ्तार कर लिया गया।
उसे आमानाका थाने में रखा गया है। उसकी पत्नी को भी मिलने नहीं दिया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हिमांशु गुप्ता की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है, उसमें अब तक कुछ नहीं हुआ है। सहायक आरक्षकों को आरक्षक बनाने की बात सिर्फ समाचार है, यह कोई आदेश नहीं है। उज्जवल को यदि नहीं छोड़ते हैं तो आमानाका थाने का घेराव करेंगे। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि धमतरी, बस्तर से आ रहे हैं पुलिस परिवार के सदस्यों को रास्ते में रोका जा रहा है। उन्हें रायपुर आने से रोक रहे हैं।
बता दें कि 6 दिसंबर को राजधानी रायपुर में प्रदेशभर से सहायक आरक्षकों के परिजन वेतनमान, पदोन्नति सहित विभिन्न मांगों को लेकर पुलिस मुख्यालय का घेराव करने आए थे। पुलिस ने उन्हें रास्ते में रोक लिया और गिरफ्तार कर अस्थाई जेल सप्रे शाला ले आए थी। महिलाएं, बच्चे व परिजन वहां रातभर बैठे रहे।
7 दिसंबर को नवा रायपुर में सड़क को जाम कर दिया, तब डीजीपी ने मुलाकात का समय दिया। प्रदर्शन के दौरान पुलिस कर्मियों ने सहायक आरक्षकों के परिवारों के साथ मारपीट का आरोप लगाया था। रोती महिलाओं व प्रदर्शनकारियों को दबावपूर्वक हटाने का वीडियो अब वायरल हुआ था जिसके बाद बस्तर संभाग के सहायक आरक्षकों ने पुलिस थानों में हथियार जमा कर दिए थे।