लेखक की कलम से

अरपा नदी का उद्गम अमरपुर नहीं खोड़री है इस पर शोध जरूरी – ठा. घनश्याम सिंह

नर्मदा, गंगा, यमुना, शिवनाथ, महानदी जितनी भी नदियों को आप देखे होंगे उन सभी का उद्गम आज भी यथावत है, ऐसा नहीं है कि उनका मुख्य उद्गम स्थान बदल गया हो जैसे गंगा (गंगोत्री हिमनद gngotri glacier), यमुना (यमुनोत्री उत्तरकाशी से 30 किमी उत्तर, गढवाल में), शिवनाथ (राजनांदगाव जिला में पानाबरस पहाडी से), महानदी (सिहावा से), नर्मदा (अमरकंटक से) इन सभी नदियों के गिरने वाले छोर से हम उद्गम की ओर चलेंगे तो हमें नदी का उद्गम स्थल मिलेगा।

अब बात करते हैं अरपा की तो बचपन से सुनते आ रहे थे कि इसका उद्गम पेंड्रा के पास अमरपुर कालेज रोड में एक खेत से हुआ है। अब जवानी में कालेज भी पहुंचे, लगातार तीन साल इसी मार्ग से पेंड्रा (अमरपुर) कालेज आते-जाते थे लेकिन जहां पर अरपा का उद्गम बताया जाता था उस जगह में कभी भी नदी जैसा कुछ दिखा नहीं। आज भी इस जगह से गुजरते हैं तो वहां केवल एक बोर्ड लिखा हुआ दिखता है जिसमें अरपा का उद्गम बताया जाता है, समझ से परे है कि क्यों ऐसा बोला जाता है जबकि वहां तो न पानी दिखता है न पानी की धार। जिसे कोई नदी नहीं तो कम से कम नाला तो बोल दे लेकिन ऐसा कुछ नहीं दिखा।

बहरहाल आते हैं मूल विषय में कि अरपा अगर पेंड्रा के बताए स्थान से नहीं निकली तो निकली कहां से ? इसी खोज में हमने बिलासपुर की जीवनदायनी अरपा का उद्गम खोजने निकले, वह भी बिलासपुर से उसके उद्गम की दिशा में मतलब पेंड्रा की ओर अरपा नदी के आगे बढते हुए हम आ गए खोंगसरा जहां पर अरपा में सागर नदी (रेलवे पुल बना है खोंगसरा स्टेशन से पहले) आ कर मिली। इसके बाद माटी नाला (भैरोसांग वाला नाला) अरपा में आ कर मिला, फिर टेडगीनाला (बगबुड के पास टाटीधार गांव) मिलता है, फिर अमरनाला (बोगदा आने के पहले बड़ी सी खाई) मिलती है, फिर अवराढोढी नाला मिलता है। अब हम खोड़री आ जाते हैं जहां पर अरपा में खोड़री गांव से डेढ़ किलोमीटर पहले फुलवारी नदी का अरपा के साथ संगम है। फुलवारी (उद्गम बसंतपुर के पास है), फुलवारी की सहायक नदी जैतरनी (उद्गम आमागार कारीआम के पास) से है। फुलवारी और जैतरनी का संगम नेवरी नागथाल में संगम होता है यहां पर प्रतिवर्ष लोटिया डबरा का मेला लगता है।

जैतरनी और फुलवारी के संगम के बाद यहां से जैतरनी लुप्त है और आगे फुलवारी खोड़री के पास अरपा में संगम के बाद लुप्त है। अब हम खोड़री के रेलवे पुल के पास पहुंचते हैं। आगे जाने पर हमें दो धारा आती दिखाई देती है जिसको खुली आंखों से अलग-अलग देखा जा सकता है उनमे से एक नदी मल्हनिया (उदग्म जलेश्वर के पहाडी से तुर्रा नामक नाला से) और दूसरी नदी सोन (उद्गम सोनमुडा अमरकंटक से) खोड़री में इन दोनों नदियों का संगम हुआ और यहां से सोन एवं मल्हनिया लुप्त है। अब खोड्री में इस संगम के बाद साफ देखा जा सकता है कि एक नदी सोन जो सोनमुडा की दिशा से आ रही और एक नदी मल्हनिया ज्वालेश्वर की ओर आ रही है।

लेकिन हमें पेंड्रा से निकलने वाली अरपा नहीं मिली, जिस अरपा को बिलासपुर की जीवनदायनी कहा जाता है उसका मूल उद्गम खोड़री है और जैसा कि वीकिपीडिया गूगल भी खोड़री ही बताता है तो यह सत्य है कि अरपा का उद्गम खोड़री ही है। इसकी सहायक नदियां, नाला इस प्रकार हैं- मल्हनिया नदी (सहायक नदी), सोन नदी (सहायक नदी), फुलवारी (जैतरनी) नदी (सहायक नदी), अवराढोढी (सहायक नाला), अमरनाला (सहायक नाला), टेडगीनाला (सहायक नाला), माटीनाला (सहायक नाला), सागर नदी (सहायक नदी)। कुल मिलाकर पेंड्रा से अरपा का उद्गम होने की बात गलत बताई जाती है, अरपा नदी खोड़री से निकलती है।

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