कोरबाछत्तीसगढ़

भू-विस्थापित समिति के सदस्यों ने सराईपाली के बुड-बुड में किया विरोध-प्रदर्शन

कोरबा (गेंदलाल शुक्ल) । सराईपाली बुड बुड में ऊर्जाधानी भू-विस्थापित समिति के सदस्यों द्वारा विरोध-प्रदर्शन किया गया। जिसमें सभी विस्थापितों द्वारा मास्क का उपयोग किया गया सोशल डिस्टेंसिंग का पालन क रने का प्रयास किया गया और सेनेटाइजर भी रखा गया था हाथ धोने के लिए।

कोरोना महामारी भारत सहित पूरी दुनिया में चल रहा है। इसको ध्यान में रखते हुए मजबूरी में भू-विस्थापितों को अपने हक की लड़ाई में आंदोलन करना पड़ा इसके जवाबदार भी एसईसीएल प्रबंधन है। एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर के तत्कालीन सीएमडी बीआररेडी ने बैठक में भरोसा दिया था कि भूमि विस्थापितों को 20% का कार्य बिना कंपटीशन टेंडर दिया जाएगा।

जो भूमि विस्थापित हैं उनको जिससे उनकी जीवन स्तर ठीक से रह सके अपने जीवन और अपने बाल बच्चे और परिवार को अच्छे से आगे बढ़ा सके बाल बच्चों को अच्छे से शिक्षा स्वास्थ्य दे सके मगर उनके रिटायरमेंट होने के बाद एसईसीएल प्रबंधन पूरी तरीके से मुकर गया और इसके बाद भी कई बार एसएसीएल के वरिष्ठ अधिकारियों से साथ बैठक किया गया मगर अधिकारी सिर्फ झूठ के अलावा कुछ नहीं दिए और अब भू स्थापित के पास खदान बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

इस मामले को लेकर शासन-प्रशासन को गंभीरता पूर्वक विचार कर त्रिपक्षीय वार्ता कराना चाहिए जिससे इस समस्या का हल और समाधान निकल सके और भू विस्थापितों को उनका हक की मांग पूरा हो सके। नहीं तो भू विस्थापित आगे लड़ाई लड़ने के लिए पूरी तरीके से तैयार है आने वाले कल में गेवरा दीपका कुसमुंडा खदानों को भी बंद कराने पूरी रणनीति से काम कर रहे हैं।

यह समस्या काफी लंबे समय से लंबित है जिस पर तत्काल एसईसीएल प्रबंधन को उचित निर्णय लेकर इनकी समस्या का समाधान करना चाहिए। आपको ज्ञात होगा इन सभी खदानों से एसईसीएल प्रबंधन द्वारा लाखों टन कोयला निकालकर अनेक राज्यों के घर में बिजली से रोशन कर रही है मगर जो स्थानीय लोग हैं जिनकी जमीन पर कोयला खदान संचालित हो रहा है उनका घर अभी भी अंधेरा से घिरा हुआ है।

भूख, अशिक्षित, स्वास्थ्य सुविधा, सड़क सुविधा, धूल, डस्ट, हैवी ब्लास्टिंग, पीने का पानी, तालाब जैसे विभिन्न समस्याओं से रोज जूझना पड़ रहा है। अब क्षेत्रवासी पूरी तरीके से अपने हक की लड़ाई के लिए कमर कस चुके हैं।

आपको ज्ञात होगा 2 मई 2016 को एसईसीएल गेवरा दीपका खदान को पूरी तरीके से बंद किया गया था। उस समय भी एसईसीएल के अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि हम लोग लोग विस्थापितों की सभी समस्या का समाधान करेंगे। मगर आज तक उनके द्वारा किसी प्रकार का कोई इंप्लीमेंट नहीं किया गया।

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