लेखक की कलम से

साबरमती आश्रम को बचाने सेवाग्राम से यात्रा शुरू ….

प्रसून लतांत । केंद्र और गुजरात राज्य सरकार द्वारा महात्मा गांधी के विश्व प्रसिद्ध सबरमती आश्रम के स्वरूप में बदलाव की कोशिश के विरुद्ध देश भर की प्रमुख गांधीवादी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने सेवाग्राम आश्रम से साबरमती संदेश यात्रा शुरू कर दी है। इस यात्रा में 50 से अधिक यात्री शामिल हैं, जिन्होंने 17 अक्टूबर से सेवाग्राम स्थित बापू कुटी से अपनी यात्रा इस संकल्प के साथ यात्रा शुरु की है कि स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत और बापू की धरोहरों के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे। सत्ता के ऐसे किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए वे जनता के बीच जाएंगे और लोकमत का जागरण करेंगे।

सेवाग्राम से साबरमती संदेश यात्रा गांधीजी के सेवाग्राम आश्रम से शुरू हुई है जो अमरावती, अकोला, खामगांव, भुसावळ, जळगांव, अमलनेर, धुले, नदुरबार, बारडोली, सूरत होते हुए 23 अक्टूबर को अहमदाबाद पहुंचेगी। यात्रा में वरिष्ठ गांधीजनों में प्रमुख रूप से कुमार प्रशांत, रामचंद्र राही, संजय सिंह, राजेंद्र सिंह राणा, सुगन बरण्ठ, आशा बोथरा, अशोक भारत, विश्वजीत रॉय, शिवी जोसेफ, शांडिल्यजी, अजय श्रीवास्तव, मृत्युंजय, अवीनाश केकड़े, जालंधर भाई, मालती बहन, अरविंद कुशवाहा, आबिदा बेगम, गोपाल सरन, भूपेश भूषण आदि हैं।

यात्रियों का कहना है कि महात्मा गांधीजी द्वारा स्थापित आश्रम तथा संस्थाएं सत्य और अहिंसा की प्रयोगशालाएं रहीं हैं। जीवन और समाज का आदर्श रूप कैसा हो इसकी साधना उन्होंने आश्रमों में की और अपने साथ साथ असंख्य मानवों को प्रेरित व प्रशिक्षित किया।

उनके बाद भी उनके आश्रम उनकी विचाधारा और जीवन शैली को जानने-समझने और प्रेरणा प्राप्त करने के पवित्रतम स्थल रहे हैं। जिनके प्रति देश और दुनिया के असंख्य नर-नारी गहरी आस्था रखते हैं। यही वजह है कि गांधी आश्रमों में दुनिया भर से लोग शांति और प्रेरण की तलाश में खिंचे चले आते हैं।

साबरमती आश्रम गांधीजी का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।

जानकारी मिली है कि मोदी सरकार साबरमती आश्रम परिसर की स्वरुप में तब्दीली कर, सादगी में सौंदर्य की विचारधारा और विरासत की पवित्रता पर सीधा आघात है।

सरकार साबरमती आश्रम को आधुनिक पर्यटन स्थल बनाने की मोदी सरकार की 1200 सौ करोड़ रुपयों की योजना अभी तक गोपनीय है।

प्राप्त जानकारी अनुसार इस योजना में नया संग्रहालय, एम्पी थिएटर, वीआईपी लाउंज, दुकानें, खाने-पीने और मनोरंजन की वृहद सुविधाएं निर्मित करने का प्रावधान है।

इसके कारण साबरमती आश्रम का न सिर्फ मूल रूप ही खत्म हो जाएगा, जो देश ही नहीं दुनिया की ऐतिहासिक धरोहर है।

इस आधुनिक निर्माण के यह पवित्रता खतम हो जाएगी।

सरकार की इस कोशिश से गांधी विचार की संस्थाएं और शांती प्रेमी नागरिक बेहद चिंतित हैं और ऐसे किसी भी प्रयास का पुरजोर विरोध करते हैं।

यह समझ लेना होगा कि बाजार केन्द्रित, भोगवादी जिस सभ्यता से गांधीजी आजीवन लड़े आज उसी बाजार को आश्रम में प्रवेश दिलाने के लिए विकास को आगे किया जा रहा है, जो नाकाबिले बर्दास्त है।

भारतीय स्वतंत्रता के हीरक जयंती वर्ष के पवित्र और ऐतिहासिक अवसर पर गांधीजी की स्मृति के संरक्षण और राष्ट्र निर्माण के लिए उनके द्वारा चलाए गए रचनात्मक कार्यक्रमों का उन्नयन करने की बजाय उनके पगचिन्ह मिटाने तथा भावी पीढ़ी से गांधी विचार परम्परा और विरासत को काटने के लिए उनके स्मृति स्थलों को तहस – महस करने की ये साजिश है।

जिस तरह अमृतसर के जालियांवाला बाग को पर्यटन स्थल में तब्दील कर वहां का भावनिक और प्रेरणात्मक वातावरण खत्म किया गया है, उसी तर्ज पर साबरमती आश्रम को बर्बाद करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। यह इतिहास मिटाने और सुविधानुसार बदलने की आशंका का ठोस आधार है।

देश के लिए बलिदान करने वाले स्वातंत्र्य सेनानियों और वीरों की स्मृतियां पर्यटन स्थलों में परिवर्तित कर उसे व्यवसायिक स्वरूप देना उनके त्याग, तपस्या और बलिदान के साथ जनभावना का भी अनादर है।

यही वजह है कि यात्रा के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी स्मृतियों और राष्ट्रीय धरोहरों को मिटाने की केंद्र सरकार की कोशिशों के प्रति देश की जनता को सचेत कर, उसकी अंतरात्मा को जगाना चाहते हैं।

केंद्र सरकार से भी अनुरोध करते हैं कि वह अपने कदम पीछे ले और राष्ट्रीय धरोहरों में छेड़छाड़ करने तथा उनका स्वरूप बदलने का प्रयास न करे।

यात्रा के आयोजन में गांधी स्मारक निधि, गांधी शांति प्रतिष्ठान, सर्व सेवा संघ, सेवा ग्राम आश्रम प्रतिष्ठान,सर्वोदय समाज, राष्ट्रीय गांधी संघ्रालय, नई तालीम समिति, राष्ट्रीय युवा संघठन,जल बिरादरी, महाराष्ट्र सर्वोदय मंडल तथा गुजरात की सर्वोदय संस्थायें शामिल हैं। यात्रा में जगह जगह सर्व धर्म प्रार्थना, गोष्ठी, जन संवाद एवं आदि कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।

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