लेखक की कलम से

मध्य वर्ग के सपनों को पंख लगाती अर्थव्यवस्था…

कोविड -19 महामारी के बाद ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि मध्य वर्ग पर इसका सबसे अधिक आर्थिक असर पड़ेगा। लेकिन प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी की दूरदर्शी सोच और आर्थिक विकास की नीतियों के चलते अब मध्य वर्ग के सपनों को उम्मीद का पंख लगते दिख रहे हैं। निश्चित तौर पर कोविड—19 महामारी का असर केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में देखने को मिला। दुनिया के कई देशों की आर्थिक अर्थव्यवस्थाएं जिस तरीके से चरमरा गई थी उनके मुकाबले भारत ने अपनी आर्थिक स्थिति को कम समय में ही पटरी पर ला दिया है। यह भी कहा जा रहा है कि उच्च वर्ग को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है और निम्न वर्ग की सुध सरकार ले रही है। लेकिन ऐसा नहीं है ‘सबका साथ—सबका विकास’ की सर्वोपरि सोच ने मध्य वर्ग की उम्मीदों को भी पूरा किया है।

 

अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार के निर्णयों से व्यापार करने में आसानी, प्रत्यक्ष करों में सुधार, कौशल विकास के जरिए रोजगार की उपलब्धता, बुनियादी ढांचे पर हो रहे खर्च से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होने के पूरे संकेत मिल रहे हैं। रोचक तथ्य यह है कि तमाम संकटों के बावजूद हमारे देश की युवा पीढ़ी आशावादी नजर आई। एक सर्वे में भी इस बात का जिक्र है कि कोविड महामारी के कारण हम सबसे खराब स्थिति से गुजर चुके हैं लेकिन अब चीजें सुधरने में वक्त लगेगा। आशावादी भारतीयों के कारण ही सरकार द्वारा समय—समय पर किए गए सिलसिलेवार उपायों और नीतिगत सुधारों के कारण आर्थिक स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है। जो संकेत मिल रहा है उसी के आधार पर आरबीआई ने 2021-22 के लिए 9.5 प्रतिशत की विकास दर के अनुमान को बरकरार रखा है।

 

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी स्वयं मध्य वर्ग की ताकत का बखान करते हैं। वे कहते हैं कि मध्य वर्ग को नए अवसर चाहिए, उसको खुला मैदान चाहिए और सरकार लगातार इस वर्ग के सपनों को पूरा करने के लिए काम कर रही है। मध्य वर्ग को जितने अवसर मिलते हैं, वो कई गुना ताकत के साथ उभर करके आते हैं। मध्य वर्ग चमत्कार करने की ताकत रखता है। इसलिए सरकार उन्हें नए अवसर मुहैया कराने और सबको बराबरी का मौका देने के लिए काम कर रही है। शहर में रहने वाले गरीब हों या मध्य वर्ग, इन सबका सबसे बड़ा सपना होता है, अपना घर। इसके लिए सरकार ने 2022 तक हर वर्ग के लिए अपना घर हो यह सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कम ब्याज दरों पर आवास ऋण का ऐलान किया गया है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में नया घर बनाने या घर के विस्तार के लिए 2 लाख रुपये तक के ऋण पर ब्याज दरों में छूट दी गई है। ज्यादातर नौकरीपेशा वाले लोग अपने पीएफ से घर बनाने के लिए पैसा नहीं निकाल पाते हैं। लेकिन सरकार ने घर बनाने के लिए 90 फीसदी पैसा निकालने की सुविधा दी है। इसी तरह से ईपीएफ अंशधारक मकान खरीदने या फिर मकान बनवाने और प्लॉट खरीदने के लिये अपनी राशि में से 90 प्रतिशत तक निकाल सकते हैं।

 

मध्य वर्ग की कमर तोड़ने में रीयल एस्टेट का भी बड़ा योगदान रहा। बड़ी संख्या में नौकरीपेशा धारकों ने मकान बुक कर लिया और ईएमआई भी चालू हो गई और मकान का किराया भी दे रहे हैं। लेकिन समय से मकान नहीं मिल पाने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती गई। आज रीयल एस्टेट कानून (रेरा) के जरिए बिल्डरों की जवाबदेही तय की जा रही है, ताकि समय से लोगों को रहने के लिए आवास मिल जाए। अब बिल्डर खरीदारों पर मनमानी शर्तें भी नहीं थोप सकेंगे वहीं निर्माण सामग्री का हवाला देकर मकान की कीमत नहीं बढ़ा सकेंगे।

 

भारत के आर्थिक विकास की सूई अब छोटे शहरों की ओर घूम रही है। सरकार ऐसे जिलों को चिन्हित कर चुकी है जो विकास की दृष्टि से पिछड़े हुए हैं। जब पिछड़े जिले विकास की मुख्यधारा से जुड़ जाएंगे तो निश्चित तौर पर देश के आर्थिक विकास में इनकी भूमिका बढ़ेगी और बड़ी संख्या में युवा जो रोजगार की तलाश में बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं वह पलायन भी कम होगा। छोटे शहरों के विकास से जब लोगों को रोजगार मिलेगा उनकी क्रय शक्ति भी बढ़ेगी। जिन उत्पादों की आज केवल बड़े शहरों में मांग बढ़ी हुई है उन उत्पादों को अब छोटे शहरों के उपभोक्ता भी आसानी से खरीद सकेंगे। सरकार की मेक इन इंडिया की जो पहल है वह भी भारत की आर्थिक समृद्धता के लिए एक बड़ा कदम है। सरकार के प्रोत्साहन से बड़ी संख्या में मध्य वर्ग स्टार्टअप इंडिया का लाभ ले रहा है। ब्याज दरें कम होने और कर्ज के नियम आसान होने से उसे व्यवसाय करने में किसी तरह की कठिनाई नहीं हो रही। कई शोध में यह बात सामने आ चुकी है कि भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को कोई तय करेगा तो वह मध्य वर्ग है। इसलिए सरकार का फोकस मध्य वर्ग को राहत देने का है। मध्य वर्ग अगर मजबूत हुआ तो आर्थिक रफ्तार अपने आप तेज होगी। आम बजट में जहां मध्य वर्ग को ध्यान में रखते हुए कई योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए बजट का प्रावधान किया गया है वहीं बीच—बीच में आर्थिक राहत का एलान भी सरकार करती रही है।

 

आज सरकार की नीतियों का ही नतीजा है कि कोविड—19 महामारी के बीच मध्य वर्ग की जो उम्मीदें टूट रही थी अब वहां आशावाद की किरण झलक रही है। आने वाले कुछ महीनों में निश्चित तौर पर विकास को गति मिलेगी और मध्य वर्ग के सपने भी पूरे होंगे।

 

-डॉ. अनिल जैन, (लेखक राज्यसभा के सदस्य और भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री हैं)

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