मध्य प्रदेश

13 सांसदों की चुनौती अपना रिकॉर्ड कायम रखना…

 भोपाल

विधानसभा चुनाव की तर्ज पर लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने चुनाव से काफी वक्त पहले टिकट की घोषणा कर प्रत्याशियों को चुनावी तैयारियों के लिए पर्याप्त समय दिया है। हालांकि, भाजपा के दिग्गजों के सामने पिछली जीत की रिकॉर्ड को बरकरार रखने की चुनौती है। उधर, कांग्रेस अभी भी टिकट को लेकर कोई घोषणा नहीं कर सकी है। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस भी इस चुनाव में कई दिग्गजों पर दांव लगा सकती है।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक और फग्गन सिंह कुलस्ते सहित फिर से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे 13 सांसदों के सामने अपनी पिछली रिकॉर्ड मतों से जीत को बरकरार रखना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। इनके पांच साल के काम का आंकलन उनको क्षेत्र की जनता वोट देकर करेगी। ऐसे में इन सभी के सामने पिछले चुनाव की ही तरह जीत दोहराने की सबसे बड़ी चुनौती होगी। भाजपा ने 24 लोकसभा क्षेत्रों से उम्मीदवार घोषित किए हैं। इनमें से 13 सांसदों को फिर से मौका दिया गया है। इन सभी के सामने पिछले चुनाव की तरह ही जीत दोहराने की चुनौती तो है ही साथ ही पुरानी जीत के अंतर को बरकरार रखना सबसे बड़ी चुनौती हैं।

13 सांसदों में से वीडी की है सबसे बड़ी जीत
प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा खजुराहो से 4 लाख 92 हजार 382 वोटों से जीते थे। उन्हें 8 लाख 11 हजार 135 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस की कविता सिंह को 3 लाख 18 हजार 753 वोट मिले थे। जिन 13 सांसदों को टिकट फिर से दिए गए हैं, उनमें वीडी शर्मा की सबसे ज्यादा अंतर से जीत हुई थी। वहीं राजगढ़ से रोडमल नागर 4 लाख 31 हजार 19 वोटों से जीते थे। जबकि शहडोल से हिमाद्री सिंह 4 लाख तीन हजार 333 वोटों से जीती थी। जिन सांसदों को फिर से टिकट दिया गया हैं, उनमें इन तीन संसदों की टॉप थ्री जीत हैं। इन तीनों को जीत के साथ ही इस अंतर को बरकरार रखना बड़ी चुनौती है।

ये भी जीते थे भारी मतों से
सतना से गणेश सिंह 2 लाख 31 हजार 473, खरगौन से गजेंद्र पटेल 2 लाख 2 हजार 510, भिंड से संध्या राय 1 लाख 99 हजार 885, मंडला से फग्गन सिंह कुलस्ते 97 हजार 674 और खंडवा उपचुनाव में ज्ञानेश्वर पाटिल 81 हजार मतों से जीते थे। इन सभी के सामने अपनी जीत के साथ ही जीत के मार्जिन को बनाए रखने की भी चुनौती है।

इनके सामने भी चुनौती
मंदसौर से सुधीर गुप्ता पिछला चुनाव 3 लाख 76 हजार 734 वोटों से जीते थे। देवास से महेंद्र सिंह सोलंकी 3 लाख 72 हजार 249 वोटों से जीते थे। बैतूल से दुर्गादास उईके 3 लाख 60 हजार 241 वोटों से जीते थे। टीकमगढ़ से वीरेंद्र खटीक 3 लाख 48 हजार 59 वोटों के अंतर से जीते थे। वहीं रीवा से जनार्दन मिश्र 3 लाख 12 हजार 808 वोटों से जीते थे। इन सभी के सामने लोकसभा चुनाव जीतने के साथ ही इस भारी अंतर को बनाए रखने के भी प्रयास करने होंगे।

प्रदेश में भाजपा के मिशन 29 को रोकने के लिए एक बार फिर कांग्रेस अपने दिग्गज नेताओं को लोकसभा चुनाव में उतार सकती है। हालांकि वर्ष 2019 के चुनाव में भी पार्टी ने अधिकांश दिग्गजों को लोकसभा चुनाव में उतारा था, लेकिन ये सभी लाखों वोटों से चुनाव में हार गए थे। इस हार के बाद से इस बार दिग्गज नेता चुनाव लड़ने से बचने के प्रयास में हैं, लेकिन कांग्रेस इन दिग्गजों को चुनाव लड़ाने का मन बना रही है। कांग्रेस इस सप्ताह में ही कुछ सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर सकती है।

कांग्रेस सूत्रों की मानी जाए तो इस चुनाव में दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, अजय सिंह, जीतू पटवारी, सज्जन सिंह वर्मा, कांतिलाल भूरिया जैसे पार्टी के दिग्गज नेताओं को लोकसभा चुनाव में उतारा जा सकता है। इनमें से तीन ही नेता इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक बताए जाते हैं, जबकि तीन नेता लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं, लेकिन पार्टी इन सभी को चुनाव में उतारने का मन बना रही है।

बड़े अंतर से हारे थे दिग्गज
पिछले लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, अजय सिंह को लोकसभा चुनाव में उतारा गया था। दिग्विजय सिंह भोपाल से उम्मीदवार बनाए गए थे, जबकि अरुण यादव खंडवा से और अजय सिंह सीधी से उम्मीदवार थे। तीनों ही नेताओं की बड़े अंतर से हार हुई थी। इस चुनाव में कहा जा रहा है कि ये तीनों ही नेता चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। इसके बाद भी पार्टी उन्हें उम्मीदवार बना सकती है। हालांकि इन नेताओं की उम्मीदवारी को लेकर  अंतिम फैसला इनकी सहमति के बाद ही पार्टी लेगी।  

झाबुआ से भूरिया, इंदौर से पटवारी का नाम लगभग तय
कांतिलाल भूरिया का झाबुआ से चुनाव लड़ना लगभग तय हैं। जीतू पटवारी को इंदौर से टिकट दिया जा सकता है। इसी तरह सज्जन सिंह वर्मा देवास से चुनाव लड़ सकते हैं। जबकि डॉ. गोविंद सिंह मुरैना से टिकट के इच्छुक बताए जाते हैं। इनके अलावा कमलेश्वर पटेल सीधी, ओमकार सिंह मरकाम मंडला को चुनाव लड़ाया जा सकता है।

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