Uncategorized

कैबिनेट ने तीनों कृषि कानून रद्द करने के प्रस्ताव पर लगाई मुहर, पीएम ने पांच दिन पहले किया था ऐलान…

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरु पर्व के अवसर पर कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। आज केन्द्रीय कैबिनेट ने तीनों नए कृषि कानूनों की वासी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद कानून वापसी के प्रस्ताव को संसद के शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों में पारित करवाया जाएगा। इसके बाद तीनों कृषि कानून खत्म हो जाएंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने बीते शुक्रवार को देश के नाम अपने संबोधन में तीनों नए कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा कि सरकार ये कानून किसानों के हित में नेक नीयत से लाई थी, लेकिन हम कुछ किसानों को समझाने में नाकाम रहे। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले संसद सत्र में कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वहीं, एक्सपर्ट्स के मुताबिक संसद सत्र शुरू होने के बाद कम से कम 3 दिन में ये प्रक्रिया पूरी हो सकती है। संसद सत्र 29 नवंबर से शुरू होना है।

वहीं, केंद्र सरकार की ओर से क्रिप्टोकरेंसी पर शिकंजा कसने की चर्चा है। आज की कैबिनेट बैठक में इस पर भी चर्चा हो सकती है। इन खबरों के बाद ज्यादातर क्रिप्टोकरेंसियों में गिरावट देखने को मिल रही है। आज सुबह 10 बजे बिटकॉइन 17% से ज्यादा गिरावट देखी जा रही है। क्रिप्टोकरेंसी के लिए सरकार शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने वाला विधेयक संसद में पेश करने की तैयारी में है। बिल में सभी तरह की प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर पाबंदी लगाने की बात कही गई है।

कैसे वापस होंगे कृषि कानून?

  • संविधान एक्सपर्ट विराग गुप्ता के मुताबिक, किसी भी कानून को वापस लेने की प्रक्रिया भी उसी तरह होगी, जिस तरह से कोई नया कानून बनाया जाता है।
  • सबसे पहले सरकार संसद के दोनों सदनों में इस संबंध में बिल पेश करेगी।
  • संसद के दोनों सदनों से ये बिल बहुमत के आधार पर पारित किया जाएगा।
  • बिल पारित होने के बाद राष्ट्रपति के पास जाएगा। राष्ट्रपति उस पर अपनी मुहर लगाएंगे।
  • राष्ट्रपति की मुहर के बाद सरकार नोटिफिकेशन जारी करेगी।
  • नोटिफिकेशन जारी होते ही कृषि कानून रद्द हो जाएंगे।

तीनों नए कृषि कानूनों को 17 सितंबर, 2020 को लोकसभा ने मंजूर किया था। राष्ट्रपति ने तीनों कानूनों के प्रस्ताव पर 27 सिंतबर को दस्तखत किए थे। इसके बाद से ही किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था।

Back to top button