दुनिया

शैक्षिक संवाद मंच की बैठक में शिक्षकों ने अनुभव किए साझा, विद्यालय के प्रति विश्वास पैदा करने पर जोर

विद्यालयों को बनायेंगे आनंदघर

बांदा (उत्तरप्रदेश)। शैक्षिक संवाद मंच अतर्रा की मासिक बैठक शिक्षक साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय के आवास पर संपन्न हुई जिसमें उपस्थित शिक्षकों ने विद्यालय और समुदाय के संबंधों पर चर्चा करते हुए विद्यालयों को आकर्षक एवं प्रभावी बनाते हुए आनंदघर के रूप में रूपांतरित करने का संकल्प लिया। बच्चों के  विकास के लिए समग्रता के साथ चिंतन मनन और क्रियान्वयन पर जोर दिया गया।

शैक्षिक संवाद मंच की बैठक में  परस्पर परिचय के बाद विनोद गुप्ता द्वारा अभियान गीत ‘बच्चों की पढ़ाई पर विचार होना चाहिए, जिसकी जिम्मेदारी उससे बात होनी चाहिए’ का सामूहिक गायन करवाया गया। तत्पश्चात पूर्व निर्धारित बिंदुओं पर चर्चा करते हुए सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किए ।

चंद्रशेखर सेन ने कहा कि आज गांव में सार्वजनिक शिक्षा के केंद्र विद्यालयों के प्रति अभिभावकों में एक अविश्वास का भाव है जिसे शिक्षक अपनी मेहनत और समर्पण से विश्वास में बदल सकते हैं । श्रीमती निशा वर्मा ने कहा कि हमें प्रत्येक बच्चे के संदर्भ से जुड़ना होगा, उसके परिवेश को समझ कर विद्यालय उपस्थिति में आने वाली समस्याओं को समझ कर बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना ही होगा । राम किशोर पांडे ने कहा कि जब तक विद्यालय का कोई विजन और दीर्घकालीन योजना नहीं होगी तब तक सफलता नहीं मिलेगी। इसलिए जरूरी है कि हम अपने विद्यालयों में अभिभावकों एवं  विद्यालय प्रबंध समितियों के साथ मिलकर विद्यालय विकास की 10 वर्षीय कार्य योजना तैयार करें।

सौरभ गुप्ता ने कहा कि जब विद्यालयों में ठहराव होगा तो उनके पठन-पाठन में गुणवत्ता आएगी और यह ठहराव तभी संभव है जब विद्यालय आकर्षक हों और शिक्षकों का व्यवहार बच्चों के लिए मित्रतापूर्ण हो। बलराम दत्त गुप्ता ने अपने विद्यालय में किए जा रहे व्यावसायिक शिक्षा के प्रयोग के अनुभव साझा साझा किया। विनोद कुमार गुप्ता ने बच्चों के स्वास्थ्य रक्षा के लिए नियमित योग करवाने की बात कहीं और बताया कि अपने स्कूल में प्रतिदिन प्राणायाम,अनुलोम- विलोम एवं विभिन्न आसनों का अभ्यास करवाते हैं जिससे बच्चों में अनुशासन के साथ-साथ उत्तरदायित्व का भाव विकसित हुआ है।

उल्लेखनीय है कि मंच सार्वजनिक शिक्षा की बेहतरी के लिए पिछले सात सालों से शिक्षकों के साथ मिलकर काम कर रहा है। आज की बैठक में शिक्षकों ने तय किया की वे सभी अपने-अपने विद्यालयों एवं गांव का एक 5-10 साल की कार्य योजना तैयार करेंगे। अभिभावकों के साथ संवाद करके उनका सहयोग लिया जाएगा ।

सर्वसम्मति से यह तय किया गया की अब मंच की मासिक बैठकें दो महीने  कार्यालय सभा कक्ष में होंगी और तीसरे महीने किसी स्कूल में बैठक सह कार्यशाला आयोजित की जायेगी। अंत में साथियों का आभार व्यक्त करते हुए प्रमोद दीक्षित ने कहा कि अवकाश के दिन शिक्षा पर चर्चा करने हेतु बैठना आपका बच्चों और विद्यालयों के प्रति समर्पण का परिचायक है। एक गांव शिक्षित-समर्थ होगा तो दूसरे गांव उससे प्रेरित होंगे। हम सभी ने साधना का पथ चुना है, एक दिन हम लक्ष्य सिद्ध करेंगे।

Back to top button